15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हुआ और इस साल देश आज़ादी का 74वां साल मना रहा है। अक्सर आज़ादी के नाम पर कुछ चुनिंदा नाम सुनने को मिलते हैं लेकिन इस आज़ादी में ना जाने कितने लोगों की मेहनत शामिल है इसके बारे में कोई बात नहीं करता। नेताजी के नाम से प्रसिद्ध सुभाष चंद्र बोस की फौज में Shahrukh Khan के नाना General Shah Nawaz Khan भी शामिल थे। आजादी के लिए उन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई भी लड़ी थी और विभाजन के बाद रहने के लिए भारत ही चुना। मगर इसमें दिलचस्प किस्सा ये है कि आजादी के बाद अंग्रेजों का झंडा इन्होंने उतारा था।
अंग्रेजों ने Shahrukh Khan के नाना किया था अरेस्ट
शाहरुख खान के नाना वर्दी में
साल 1942 में जब द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था तब शहनावाज खान नाम के एक आदमी ब्रिटिश साम्राज्य के भारतीय रेजिमेंट में शामिल हुआ। ये वही पहले आदमी थे जिसने आजादी के बाद दिल्ली के लाल किले से अंग्रेजों का झंडा उतारकर तिरंगा लहराने के लिए पीएम को उसकी कमान दी थी। शहनवाज खान का जन्म 24 जनवरी, 1914 को ब्रिटिश भारत के मटोरे में हुआ था जो अब पाकिस्तान के रावलपिंडी जिले में स्थित है। शहनवाज खान का जन्म एक पंजाबी मुस्लिम परिवार में हुआ था, इनके पिता भी इंडियन आर्मी में थे। वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई की बुक ’24 अकबर रोड’ के अनुसार, साल 1942 में जब दूसरा विश्व युद्ध छिड़ा था, तब शाहनवाज अंग्रेज सरकार की भारतीय रेजिमेंट में सिपाही थे और साउथ एशिया में जापान के खिलाफ मोर्चा संभाल रहे थे। तब जापानी सेना ने उन्हें अरेस्ट किया और नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के हवाले कर दिया। बोस उस वक्त आईएनए का नेतृत्व कर रहे थे और अंग्रेजी सरकार के खिलाफ जापान का साथ दे रहे थे। जब शाहनवाज बोस से पहली बार मिले तो खुश होते हुए काफी प्रभावित हुए। इसके बाद उन्होंने बोस की सेना इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) ज्वाइन कर लिया था।
उस दौर के न्यूजपेपर की एक कटिंग
दूसरा विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद अंग्रेजों ने उन लोगों की तलाश शुरू की, जो अंग्रेजी सरकार के खिलाफ सुभाष चन्द्र बोस की आर्मी में उनका साथ दे रहे थे। बर्मा से शाहनवाज और उनके दल को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया और शाहनवाज के साथ कर्नल हबीब उर रहमान, कर्नल प्रेम सहगल, और कर्नल गुरुबख्श सिंह के खिलाफ राजद्रोह का मुकद्दमा भी चलाया गया। अंग्रेजों ने आरोप सिद्ध हुए और शाहनवाज सहित उनके साथियों को फांसी की सजा सुना दी गई। इस बात की जानकारी जब पंडित नवाहर लाल नेहरु को चली तो उन्होंने कोर्ट में फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि शाहनवाज और उनके साथियों को युद्ध में बंदी बनाए जाने और बंदियों के साथ अंग्रेज सरकार का उनके साथ यह बर्ताव ठीक नहीं है। इधर कोर्ट में नेहरु ने अपील दायर की तो वहीं बाहर भी जनता सरकार के फैसले का विरोध कर रही थी। इस दबाव के चलते ब्रिटिश आर्मी के जनरल आक्किनलेक को झुकना पड़ा और जुर्माना लेकर शाहनवाज और उनके साथियों को छोड़ना पड़ा। आजादी के बाद लाल किले से ब्रिटिश झंडा उतारने का काम शाहनवाज खान को दिया गया और इसके बाद उन्हें आजाद भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से सम्मान भी मिला था। आजादी के बाद वे कांग्रेस में शामिल हुए और तीन बार मेरठ से लोकसभा के लिए चुने गए।
शाहनवाज का पारिवारिक जीवन
आजादी के साथ ही जब देश का बंटवारा हुआ तब शाहनवाज के परिवार ने पाकिस्तान जाना स्वीकार किया वहीं शाहनवाज खान ने भारत चुना। उन्होंने उस समय अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि आजादी के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की और मौत के मुंह से कई बार वापस आए उन्होंने देश की आजादी की कामना बहुत दिल से की इसलिए वे भारत का ही हिस्सा बने रहना चाहते थे। भारत में रहने के दौरान उन्होंने शादी की उन्हें एक बेटा हुआ लेकिन बेटी की चाहत थी तो उन्होंने लतीफ फातिमा खान को गोद लिया। दिल्ली के आर्मी हेडक्वाटर में काम करने वाले ताज मोहम्मद खान 20 साल की नौकरी के बाद रिटायर्ड हो गए और उसी कैंपस में एक कैंटीन खोल ली। शाहनवाज को ताज मोहम्मद बहुत पसंद थे और उन्होंने अपनी बेटी लतीफ फातिमा की शादी उनके साथ करवा दी। शाहनवाज खान की मृत्यु 9 दिसबंर, 1983 को दिल्ली में हो गयी थी।
शाहरुख खान के माता-पिता
ताज मोहम्मद खान और लतीफ फातिमा की दो संतान लालारुख खान और शाहरुख खान (Shahrukh Khan) हुए। पिता और नाना की इस नौकरी को शाहरुख बहुत पसंद करते थे और उन्होंने ट्राई भी किया कि वे आर्मी ज्वाइन कर लें लेकिन हर बार किसी ना किसी वजह से वे इस रेस से बाहर हो जाते थे। तभी उन्होंने फौजी सीरियल में काम करने का मन बनाया और ऑडिशन में पास होने के बाद कैप्टन अभिमन्यू के तौर पर वे एक्टिंग करने लगे। शाहरुख खान ने अपनी मेहनत के बल पर पूरी दुनिया में जो नाम कमाया है वो अक्सर एक्टिंग करने वालों का सपना होता है। अपने एक इंटरव्यू में शाहरुख खान ने बताया था, ”जब हम छोटे थे तो नाना अक्सर कहते थे कि हम सच्चे राष्ट्रवादी हैं। क्योंकि बंटवारे के बाद जब हिंदुस्तान से मुसलमान पाकिस्तान जा रहे थे, तब हम रावलपिंडी छोड़कर अपने मुल्क में आ बसे थे।”
यह भी पढ़ें- Kargil Vijay Diwas के ऐतिहासिक दिन को बयां करती हैं ये 12 अनदेखी तस्वीरें
15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हुआ और इस साल देश आज़ादी का 74वां साल मना रहा है। अक्सर आज़ादी के नाम पर कुछ चुनिंदा नाम सुनने को मिलते हैं लेकिन इस आज़ादी में ना जाने कितने लोगों की मेहनत शामिल है इसके बारे में कोई बात नहीं करता। नेताजी के नाम से प्रसिद्ध सुभाष चंद्र बोस की फौज में Shahrukh Khan के नाना General Shah Nawaz Khan भी शामिल थे। आजादी के लिए उन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई भी लड़ी थी और विभाजन के बाद रहने के लिए भारत ही चुना। मगर इसमें दिलचस्प किस्सा ये है कि आजादी के बाद अंग्रेजों का झंडा इन्होंने उतारा था।
अंग्रेजों ने Shahrukh Khan के नाना किया था अरेस्ट
शाहरुख खान के नाना वर्दी में
साल 1942 में जब द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था तब शहनावाज खान नाम के एक आदमी ब्रिटिश साम्राज्य के भारतीय रेजिमेंट में शामिल हुआ। ये वही पहले आदमी थे जिसने आजादी के बाद दिल्ली के लाल किले से अंग्रेजों का झंडा उतारकर तिरंगा लहराने के लिए पीएम को उसकी कमान दी थी। शहनवाज खान का जन्म 24 जनवरी, 1914 को ब्रिटिश भारत के मटोरे में हुआ था जो अब पाकिस्तान के रावलपिंडी जिले में स्थित है। शहनवाज खान का जन्म एक पंजाबी मुस्लिम परिवार में हुआ था, इनके पिता भी इंडियन आर्मी में थे। वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई की बुक ’24 अकबर रोड’ के अनुसार, साल 1942 में जब दूसरा विश्व युद्ध छिड़ा था, तब शाहनवाज अंग्रेज सरकार की भारतीय रेजिमेंट में सिपाही थे और साउथ एशिया में जापान के खिलाफ मोर्चा संभाल रहे थे। तब जापानी सेना ने उन्हें अरेस्ट किया और नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के हवाले कर दिया। बोस उस वक्त आईएनए का नेतृत्व कर रहे थे और अंग्रेजी सरकार के खिलाफ जापान का साथ दे रहे थे। जब शाहनवाज बोस से पहली बार मिले तो खुश होते हुए काफी प्रभावित हुए। इसके बाद उन्होंने बोस की सेना इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) ज्वाइन कर लिया था।
उस दौर के न्यूजपेपर की एक कटिंग
दूसरा विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद अंग्रेजों ने उन लोगों की तलाश शुरू की, जो अंग्रेजी सरकार के खिलाफ सुभाष चन्द्र बोस की आर्मी में उनका साथ दे रहे थे। बर्मा से शाहनवाज और उनके दल को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया और शाहनवाज के साथ कर्नल हबीब उर रहमान, कर्नल प्रेम सहगल, और कर्नल गुरुबख्श सिंह के खिलाफ राजद्रोह का मुकद्दमा भी चलाया गया। अंग्रेजों ने आरोप सिद्ध हुए और शाहनवाज सहित उनके साथियों को फांसी की सजा सुना दी गई। इस बात की जानकारी जब पंडित नवाहर लाल नेहरु को चली तो उन्होंने कोर्ट में फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि शाहनवाज और उनके साथियों को युद्ध में बंदी बनाए जाने और बंदियों के साथ अंग्रेज सरकार का उनके साथ यह बर्ताव ठीक नहीं है। इधर कोर्ट में नेहरु ने अपील दायर की तो वहीं बाहर भी जनता सरकार के फैसले का विरोध कर रही थी। इस दबाव के चलते ब्रिटिश आर्मी के जनरल आक्किनलेक को झुकना पड़ा और जुर्माना लेकर शाहनवाज और उनके साथियों को छोड़ना पड़ा। आजादी के बाद लाल किले से ब्रिटिश झंडा उतारने का काम शाहनवाज खान को दिया गया और इसके बाद उन्हें आजाद भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से सम्मान भी मिला था। आजादी के बाद वे कांग्रेस में शामिल हुए और तीन बार मेरठ से लोकसभा के लिए चुने गए।
शाहनवाज का पारिवारिक जीवन
आजादी के साथ ही जब देश का बंटवारा हुआ तब शाहनवाज के परिवार ने पाकिस्तान जाना स्वीकार किया वहीं शाहनवाज खान ने भारत चुना। उन्होंने उस समय अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि आजादी के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की और मौत के मुंह से कई बार वापस आए उन्होंने देश की आजादी की कामना बहुत दिल से की इसलिए वे भारत का ही हिस्सा बने रहना चाहते थे। भारत में रहने के दौरान उन्होंने शादी की उन्हें एक बेटा हुआ लेकिन बेटी की चाहत थी तो उन्होंने लतीफ फातिमा खान को गोद लिया। दिल्ली के आर्मी हेडक्वाटर में काम करने वाले ताज मोहम्मद खान 20 साल की नौकरी के बाद रिटायर्ड हो गए और उसी कैंपस में एक कैंटीन खोल ली। शाहनवाज को ताज मोहम्मद बहुत पसंद थे और उन्होंने अपनी बेटी लतीफ फातिमा की शादी उनके साथ करवा दी। शाहनवाज खान की मृत्यु 9 दिसबंर, 1983 को दिल्ली में हो गयी थी।
शाहरुख खान के माता-पिता
ताज मोहम्मद खान और लतीफ फातिमा की दो संतान लालारुख खान और शाहरुख खान (Shahrukh Khan) हुए। पिता और नाना की इस नौकरी को शाहरुख बहुत पसंद करते थे और उन्होंने ट्राई भी किया कि वे आर्मी ज्वाइन कर लें लेकिन हर बार किसी ना किसी वजह से वे इस रेस से बाहर हो जाते थे। तभी उन्होंने फौजी सीरियल में काम करने का मन बनाया और ऑडिशन में पास होने के बाद कैप्टन अभिमन्यू के तौर पर वे एक्टिंग करने लगे। शाहरुख खान ने अपनी मेहनत के बल पर पूरी दुनिया में जो नाम कमाया है वो अक्सर एक्टिंग करने वालों का सपना होता है। अपने एक इंटरव्यू में शाहरुख खान ने बताया था, ”जब हम छोटे थे तो नाना अक्सर कहते थे कि हम सच्चे राष्ट्रवादी हैं। क्योंकि बंटवारे के बाद जब हिंदुस्तान से मुसलमान पाकिस्तान जा रहे थे, तब हम रावलपिंडी छोड़कर अपने मुल्क में आ बसे थे।”
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