भारत में बढ़ती हुई परेशानियों का कारण यहां की जनसंख्या को माना जाता है। इसके कारण प्रदूषण दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है और इसके कारण ही हवाएं शुद्ध नहीं हो पा रही है लेकिन लोग इससे बाज नहीं आ रहे। यहां पर बहुत से परिवार ऐसे हैं जहां बेटों की चाह में लोग कई-कई बच्चे कर लेते हैं फिर भले आगे चलकर वे पछताएं लेकिन वे दो से ज्यादा बच्चे करते ही हैं। मगर भारत में ही एक ऐसा भी गांव है जहां पर दो से ज्यादा कोई बच्चा करता ही नहीं फिर चाहे दो बेटे हो या फिर दो बेटियां हो। इस गांव की जनसंख्या 97 सालों से नहीं बढ़ी, लेकिन इसकी क्या वजह है?
इस गांव में आज तक नहीं बढ़ी जनसंख्या
गांव की जनसंख्या
मध्य प्रदेश के बैतूले जिले का धनोरा गांव इस काम के लिए फेमस है। इस गांव की जनसंख्या साल 1922 में 1700 थी और आज भी यहां का औसत एक ही है। यहां किसी भी परिवार में दो से ज्यादा बच्चे नहीं हैं। यहां पर बेटा या बेटी में भेदभाव नहीं किया जाता है। दुनिया में समस्याओं का कारण जनसंख्या बताया जाता है क्योंकि हर देश-प्रदेश और गांव की जनसंख्या में लगातार इजाफा होने लगा है मगर सुविधाएं तो सीमित ही हैं इसलिए हर चीज की कीमत बढ़ती जा रही है और ग्लोबल वॉर्मिंग भी खतरा बताने लगा है। इस गांव की जनसंख्या ऐसी है क्योंकि साल 1922 में यहां कांग्रेस सम्मेलन हुआ था जिसमें महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी आई थीं और यहां पर ग्रामिणों से खुशहाल जीनव के लिए छोटा परिवार, सुखी परिवार का नारा दिया था और उस समय की बात को गांव वालों ने पत्थर की लकीर मान लिया। यहां पर हर साल किसी ना किसी बुजुर्ग् की मृत्यु होती है और वहीं कोई ना कोई बच्चा जन्म भी लेता है लेकिन फिर भी ज्यादा बच्चों के जन्म ना लेने पर यहां की जनसंख्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।
यहां के बुजुर्गों का कहना है कि कस्तूरबा गांधी का जनसंदेश यहां के लोगों के दिल और दिमाग पर बैठ गया और साल 1922 के बाद गांव में परिवार नियोजन के लिए ग्रामिणों में जबरदस्त जागरुकता आई थी। लगभग हर परिवार एक या दो बच्चे ही करता है। इससे गांव की जनसंख्या स्थिर बनी रहती है। बेटों की चाहत में परिवार बढ़ाने की कुरीतियों से यहां के लोग बिल्कुल दूर रहते हैं। परिवरा नियोजन के मामले में ये गांव बहुत सक्रीय रहता है और बेटा हो या बेटी यहां पर एक या दो से ज्यादा बच्चे कोई करता नहीं है। ग्रामीण बताते हैं कि धनोरा के आसपास ऐसे भी कई गांव है, इसकी जनसंख्या 50 साल पहले जितनी थी उसके मुकाबले अब 5 गुना बढ़ी है लेकिन धनोरा गांव की जनसंख्या 1700 पिछले 97 साल से बनी हुई है।
यह भी पढ़ें- सिर्फ ‘रामभक्त’ ही जानते होंगे रामायण से जुड़ी ये 10 अहम बातें
भारत में बढ़ती हुई परेशानियों का कारण यहां की जनसंख्या को माना जाता है। इसके कारण प्रदूषण दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है और इसके कारण ही हवाएं शुद्ध नहीं हो पा रही है लेकिन लोग इससे बाज नहीं आ रहे। यहां पर बहुत से परिवार ऐसे हैं जहां बेटों की चाह में लोग कई-कई बच्चे कर लेते हैं फिर भले आगे चलकर वे पछताएं लेकिन वे दो से ज्यादा बच्चे करते ही हैं। मगर भारत में ही एक ऐसा भी गांव है जहां पर दो से ज्यादा कोई बच्चा करता ही नहीं फिर चाहे दो बेटे हो या फिर दो बेटियां हो। इस गांव की जनसंख्या 97 सालों से नहीं बढ़ी, लेकिन इसकी क्या वजह है?
इस गांव में आज तक नहीं बढ़ी जनसंख्या
गांव की जनसंख्या
मध्य प्रदेश के बैतूले जिले का धनोरा गांव इस काम के लिए फेमस है। इस गांव की जनसंख्या साल 1922 में 1700 थी और आज भी यहां का औसत एक ही है। यहां किसी भी परिवार में दो से ज्यादा बच्चे नहीं हैं। यहां पर बेटा या बेटी में भेदभाव नहीं किया जाता है। दुनिया में समस्याओं का कारण जनसंख्या बताया जाता है क्योंकि हर देश-प्रदेश और गांव की जनसंख्या में लगातार इजाफा होने लगा है मगर सुविधाएं तो सीमित ही हैं इसलिए हर चीज की कीमत बढ़ती जा रही है और ग्लोबल वॉर्मिंग भी खतरा बताने लगा है। इस गांव की जनसंख्या ऐसी है क्योंकि साल 1922 में यहां कांग्रेस सम्मेलन हुआ था जिसमें महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी आई थीं और यहां पर ग्रामिणों से खुशहाल जीनव के लिए छोटा परिवार, सुखी परिवार का नारा दिया था और उस समय की बात को गांव वालों ने पत्थर की लकीर मान लिया। यहां पर हर साल किसी ना किसी बुजुर्ग् की मृत्यु होती है और वहीं कोई ना कोई बच्चा जन्म भी लेता है लेकिन फिर भी ज्यादा बच्चों के जन्म ना लेने पर यहां की जनसंख्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।
यहां के बुजुर्गों का कहना है कि कस्तूरबा गांधी का जनसंदेश यहां के लोगों के दिल और दिमाग पर बैठ गया और साल 1922 के बाद गांव में परिवार नियोजन के लिए ग्रामिणों में जबरदस्त जागरुकता आई थी। लगभग हर परिवार एक या दो बच्चे ही करता है। इससे गांव की जनसंख्या स्थिर बनी रहती है। बेटों की चाहत में परिवार बढ़ाने की कुरीतियों से यहां के लोग बिल्कुल दूर रहते हैं। परिवरा नियोजन के मामले में ये गांव बहुत सक्रीय रहता है और बेटा हो या बेटी यहां पर एक या दो से ज्यादा बच्चे कोई करता नहीं है। ग्रामीण बताते हैं कि धनोरा के आसपास ऐसे भी कई गांव है, इसकी जनसंख्या 50 साल पहले जितनी थी उसके मुकाबले अब 5 गुना बढ़ी है लेकिन धनोरा गांव की जनसंख्या 1700 पिछले 97 साल से बनी हुई है।
यह भी पढ़ें- सिर्फ ‘रामभक्त’ ही जानते होंगे रामायण से जुड़ी ये 10 अहम बातें