हिंदू धर्म में पूजा पाठ का अलग ही स्थान होता है और हर देवता का अलग ही महत्व होता है. यहां सोमवार का दिन शंकर जी, मंगलवार का दिन बजरंगबली, बुधवार का दिन गणेश जी, गुरुवार का दिन विष्णु जी, शुक्रवार का दिन वैभव लक्ष्मी, शनिवार का दिन शनिदेव और रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है. भक्त के जीवन में जिस दशा की कमी होती है वे उन्हें पूजते हैं और उनका अच्छे से ध्यान लगाते हैं. गृह नक्षत्रों में शनि का भी अलग प्रकोप रहता है और ये देवों में भी सबसे क्रोधित देवता माने जाते हैं. शनिदेव की पूजा करना हर उन जातकों के लिए जरूरी होता है जिनके ऊपर साढे साती चढ़ा होता है ऐसे में शनिदेव की पूजा करना बहुत जरूरी हो जाता है.
शनिदेव पूजन की पूरी विधि | Shanidev Puja Vidhi
शनिदेवता को न्याय का देवता कहते हैं और ऐसी मान्यता है कि वे सभी कर्मों के फल देते हैं. कोई भी बुरा काम उनसे छिपता नहीं है और शनिदेव हर एक बुरे कर्मों का फल मनुष्य को जरूर देते हैं. जो गलती जानबूझ कर की गई हो या जो अनजाने में की गई हो वे सभी का हिसाब रखते हैं और दोनों का फल वे अलग-अलग तरीकों से देते हैं. शनिदेव से कुछ भी छिपा नहीं है और शनिदेव हर चीज अपनी नजर में रखते हैं. शनिदेव की पूजा का भी अपना अलग ही महत्व है और इसे हर शनिवार को करने से आप शनिदेव के प्रकोप से बच सकते हैं. मान्यता है कि अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो इससे शनिदेव की असीम कृपा बनी रहती है और ग्रहों की दशा भी सुधर जाती है. तो आप भी जान लीजिए शनिदेव के पूजन की सही विधि…
1. शनिवार दे दिन मंदिर में सरसों के तेल का दिया जलाएं और ध्यान रखें कि ये दिया उनकी मूर्ति के आगे नहीं बल्कि मंदिर में रखी उनकी शिला के सामने या फिर पीपल के पेड़ के पास ही जलाएं.
2. अगर आस-पास शनि मंदिर ना हो तो पीपल के पेड़ के पास भी सरसों का दिया जलाकर आपको शनिदेव की कृपा मिलेगी और अगर वो भी ना हो तो आप तेल किसी गरीब को दान कर दें.
3. शनिदेव को तेल के साथ ही तिल, काली उड़द और कोई भी काली वस्तु जरूर दान में दें, इससे आपके सभी रुके काम बनने लगेंगे.
4. अगर किसी को कुछ भेंट दे रहे हैं तो शनि मंत्र या फिर शनि चालिसा भी सरसो के तेल के साथ दें. इससे उन्हें भी सद्बुद्धि आएगी और आपके मन को भी शांति मिलेगी.
Shanidev Puja Vidhi
5. शनि पूजा के बाद हनुमान जी की भी पूजा करें, उनकी मूर्ति पर सिंदूर लगाएं और उन्हें केला अर्पित करें. ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव सिर्फ बजरंगबली को मानते थे और उनके जाप से शनिदेव का प्रकोप आपको नहीं छू पाएगा.
6. शनिदेव की पूजा करना हर शनिवार को अनिवार्य है. इस पूजा के साथ ही अगर आपने 11, 21 या फिर 51 बार शनि जाप कर लिया तो आपकी पूजा सफल हो जाएगी. ये मंत्र इस प्रकार है- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:.
अगर रखते हैं शनिवार का व्रत
Shanidev Puja Vidhi जानने के बाद बहुत से लोग अपने दोषों को खत्म करने के लिए प्रत्येक शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत रखते हैं. इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और ये पूजा के लिए जरूरी भी होता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, ये मान्यता है कि शनिदोष से मुक्ति पाने के लिए मूल नक्षत्रयुक्त शनिवार से आरंभ करके 7 राशियों की पूजा करनी चाहिए और उसी हिसाब से व्रत रखना चाहिए. ऐसे में शनिदेव की कृपा बनी रहती है. व्रत के लिए सबसे पहले आपको शनिवार वाले दिन सुबह ही नहा लेना चाहिए फिर हनुमान और शनिवार की अराधना करते हुए तिल और लौंग के साथ पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए. इसके बाद शनि प्रतिमा के पास बैठकर उनके मंत्रों का उच्चारण करें. इसके बाद काले वस्त्र, काली वस्तुएं किसी भी गरीब को दान में दे दें और जब आपको अंतिम व्रत हो तो शनिदेव की पूजा के साथ-साथ ही हवन भी करना चाहिए.
यह भी पढ़ें- Chhatrapati Shivaji Jayanti: छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता का इतिहास, जानें
हिंदू धर्म में पूजा पाठ का अलग ही स्थान होता है और हर देवता का अलग ही महत्व होता है. यहां सोमवार का दिन शंकर जी, मंगलवार का दिन बजरंगबली, बुधवार का दिन गणेश जी, गुरुवार का दिन विष्णु जी, शुक्रवार का दिन वैभव लक्ष्मी, शनिवार का दिन शनिदेव और रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है. भक्त के जीवन में जिस दशा की कमी होती है वे उन्हें पूजते हैं और उनका अच्छे से ध्यान लगाते हैं. गृह नक्षत्रों में शनि का भी अलग प्रकोप रहता है और ये देवों में भी सबसे क्रोधित देवता माने जाते हैं. शनिदेव की पूजा करना हर उन जातकों के लिए जरूरी होता है जिनके ऊपर साढे साती चढ़ा होता है ऐसे में शनिदेव की पूजा करना बहुत जरूरी हो जाता है.
शनिदेव पूजन की पूरी विधि | Shanidev Puja Vidhi
शनिदेवता को न्याय का देवता कहते हैं और ऐसी मान्यता है कि वे सभी कर्मों के फल देते हैं. कोई भी बुरा काम उनसे छिपता नहीं है और शनिदेव हर एक बुरे कर्मों का फल मनुष्य को जरूर देते हैं. जो गलती जानबूझ कर की गई हो या जो अनजाने में की गई हो वे सभी का हिसाब रखते हैं और दोनों का फल वे अलग-अलग तरीकों से देते हैं. शनिदेव से कुछ भी छिपा नहीं है और शनिदेव हर चीज अपनी नजर में रखते हैं. शनिदेव की पूजा का भी अपना अलग ही महत्व है और इसे हर शनिवार को करने से आप शनिदेव के प्रकोप से बच सकते हैं. मान्यता है कि अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो इससे शनिदेव की असीम कृपा बनी रहती है और ग्रहों की दशा भी सुधर जाती है. तो आप भी जान लीजिए शनिदेव के पूजन की सही विधि…
1. शनिवार दे दिन मंदिर में सरसों के तेल का दिया जलाएं और ध्यान रखें कि ये दिया उनकी मूर्ति के आगे नहीं बल्कि मंदिर में रखी उनकी शिला के सामने या फिर पीपल के पेड़ के पास ही जलाएं.
2. अगर आस-पास शनि मंदिर ना हो तो पीपल के पेड़ के पास भी सरसों का दिया जलाकर आपको शनिदेव की कृपा मिलेगी और अगर वो भी ना हो तो आप तेल किसी गरीब को दान कर दें.
3. शनिदेव को तेल के साथ ही तिल, काली उड़द और कोई भी काली वस्तु जरूर दान में दें, इससे आपके सभी रुके काम बनने लगेंगे.
4. अगर किसी को कुछ भेंट दे रहे हैं तो शनि मंत्र या फिर शनि चालिसा भी सरसो के तेल के साथ दें. इससे उन्हें भी सद्बुद्धि आएगी और आपके मन को भी शांति मिलेगी.
Shanidev Puja Vidhi
5. शनि पूजा के बाद हनुमान जी की भी पूजा करें, उनकी मूर्ति पर सिंदूर लगाएं और उन्हें केला अर्पित करें. ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव सिर्फ बजरंगबली को मानते थे और उनके जाप से शनिदेव का प्रकोप आपको नहीं छू पाएगा.
6. शनिदेव की पूजा करना हर शनिवार को अनिवार्य है. इस पूजा के साथ ही अगर आपने 11, 21 या फिर 51 बार शनि जाप कर लिया तो आपकी पूजा सफल हो जाएगी. ये मंत्र इस प्रकार है- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:.
अगर रखते हैं शनिवार का व्रत
Shanidev Puja Vidhi जानने के बाद बहुत से लोग अपने दोषों को खत्म करने के लिए प्रत्येक शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत रखते हैं. इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और ये पूजा के लिए जरूरी भी होता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, ये मान्यता है कि शनिदोष से मुक्ति पाने के लिए मूल नक्षत्रयुक्त शनिवार से आरंभ करके 7 राशियों की पूजा करनी चाहिए और उसी हिसाब से व्रत रखना चाहिए. ऐसे में शनिदेव की कृपा बनी रहती है. व्रत के लिए सबसे पहले आपको शनिवार वाले दिन सुबह ही नहा लेना चाहिए फिर हनुमान और शनिवार की अराधना करते हुए तिल और लौंग के साथ पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए. इसके बाद शनि प्रतिमा के पास बैठकर उनके मंत्रों का उच्चारण करें. इसके बाद काले वस्त्र, काली वस्तुएं किसी भी गरीब को दान में दे दें और जब आपको अंतिम व्रत हो तो शनिदेव की पूजा के साथ-साथ ही हवन भी करना चाहिए.
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