संजय दत्त को हुआ Lung Cancer, जानिए क्या होते हैं लक्षण और कैसे होता है इलाज?

0
165

11 अगस्त की देर रात बॉलीवुड (Bollywood) से खबर आई कि एक्टर Sanjay Dutt को तीसरे चरण का लंग कैंसर हो गया है। फिर अगले दिन खबर आई कि उन्हें चौथे चरण का लंग कैंसर हुआ है और वे इलाज के लिए अमेरिका जाने वाले हैं। मगर बहुत से लोगों के मन में एक सवाल है कि ये Lung Cancer in Hindi होता क्या है? यहां आपको बताएंगे लंग कैसर यानी फेफड़ों का कैंसर क्या होता है, इसके कारण, लक्षण और इलाज क्या होता है?

क्या होता है फेफड़ों का कैंसर? | Lung Cancer in Hindi

फेफड़ों का काम हवा से ऑक्‍सीजन अलग कर रक्त में पहुंचाना है। लेकिन कई बार फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है और ये ठीक से काम नहीं करते और कई बार यह संक्रमण के कारण कैंसर का रूप ले लेती है। फेफड़ों के कैंसर में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि होती है। और रोगी को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। एक अध्ययन के मुताबिक यह पता चला है कि फेफड़े के कैंसर से पीड़ित आधे से ज्यादा लोगों की मौत 6 महीनें के भीतर हो जाती है।

फेफड़ों के कैंसर का कारण | Lung Cancer cause

Cigarette cause of Lung Cancer

फेफड़ों का कैंसर की शुरुआत फेफड़ो में फैलने से होती है और बाद में शरीर के अन्य अंगों में फैलता है। यह फेफड़ों के वायुमार्गों में शुरू होता है, जिन्हें अलवेली और ब्रोंचीओल्स कहा जाता है। ज्यादातर मामलों में फेफड़ों का कैंसर अधिक धूम्रपान करने से होता है। जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं अज्ञानतावश वे भी इस बीमारी के चपेट में आ रहे है। फेफड़ो के कैंसर के मुख्य कारण निम्न है-

तम्बाकू धूम्रपान – तम्बाकू का उपयोग फेफड़ो के लिए हानिकारक है। सिगरेट और बीड़ी धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर के लिये प्रमुख कारक है।धूम्रपान से होंठ, मुँह, ग्रासनली, पाचन, श्वसन और छाती के अन्दरूनी अंगो के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। तम्बाकू में उपस्थित जहरीले रसायनों की वजह से फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचता है और वे असामान्य रूप से विकसित हो जाती हैं।

निष्क्रिय धूम्रपान – यदि कोई व्यक्ति स्वयं धूम्रपान नही करता, फिर भी किसी अन्य व्यक्ति के धूम्रपान के कारण उसे फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा बना रहता है। जिसे निष्क्रिय ‘धूम्रपान‘ या ‘पर्यावरणीय धूम्रपान‘ कहा जाता है। इसके कारण घर के पर्दे, कपडे, कालीन, भोजन, फर्नीचर और अन्य इस्तेमाल सामग्री में धुआँ लगने से जहरीले रसायन कण चिपक जाते है जो निष्क्रिय धूम्रपान के लिये जिम्मेदार होते है।

अभ्रक- अभ्रक को मानव कैंसरजन के रूप में वर्गीकृत किया गया है। अभ्रक अपने बेहद टिकाऊ और आग प्रतिरोधी शक्ति के कारण जाना जाता है। अभ्रक के तंतु प्रकृति में सूक्ष्म होते है और जब सांस द्वारा अंदर जाते है तो फेफड़ों में जलन पैदा कर सकते है।

रेडान- रेडान के संपर्क में आने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ने की संभावना होती है। रेडान, अदृश्य व गंधहीन गैस होती है जो यूरोनियम टूटने से निकलती है तथा हवा के साथ मिलकर सांस द्वारा अंदर जाती है।

वंशानुगत और पारिवारिक इतिहास – अगर परिवार में किसी को फेफड़ों का कैंसर है तो इसकी संभावना दूसरे लोगों में बढ़ जाती है।

घर के अंदर कोयला जलाना- घर के अंदर खाना पकाने के लिये कोयले का इस्तेमाल करने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

फेफड़ों के कैंसर का लक्षण | Symptoms of Lung Cancer

लंग कैंसर के कुछ लक्षण निम्नलिखित है जिससे कि आप इस बीमारी का पता लगा सकते है-

  • कई महीनों से लगातर खांसी का आना।
  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • कफ़ के साथ खून का आना।
  • मुंह में घरघराहट का आना।
  • अधिक लंबी सांस लेने में दिक्‍कत होना।
  • सीने में लगातार दर्द का आना।
  • निमोनिया के साथ बुखार और खांसी के साथ कफ आना।
  • कुछ खाने में दिक्कत महसूस होना।
  • लगातर वजन कम होना।

फेफड़ो के कैंसर का उपचार | Treatment of Lung Cancer

Lung Cancer in Hindi

अगर सही समय पर फेफड़ो का उपचार शुरु कर दिया जाए तो इस गंभीर बीमारी से रोगी ठीक हो सकता है। फेफड़ो के कैंसर के उपचार में कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। कीमोथेरेपी का मुख्य उद्देश्य कैंसर की कोशिकाओं को मारना है। ज्यादातर मामलों में फेफड़ो के कैंसर को खत्म करने के लिए डॉक्टर ऑपरेशन का सुझाव देते है जिसमें निम्न प्रकिया अपनाई जाती है-

सेगमेंटल शोधन – इसमें ऑपरेशन करके फेफड़ों का एक बड़ा हिस्सा हटा दिया जाता है।

लोबेटोमी- फेफड़ों का एक पूरा लोब हटा दिया जाता है।

न्यूमोनक्टोमी- इस प्रकिया में पूरे फेफड़े को हटा दिया जाता है।

कीमोथेरपी के जरिए भी फेफड़ो के कैंसर का इलाज होता है जहां पर रेडिएशन चिकित्सा के द्वारा कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए प्रोटॉन और एक्स-रे से प्राप्त ऊर्जा बीम को नियोजित किया जाता है।

फेफड़ो के कैंसर से बचाव

1. फेफड़ों के कैंसर को रोकने का सबसे सही तरीका है कि धूम्रपान को बंद किया जाए। जो व्यक्ति अपने जीवन कभी धूम्रपान नहीं करता है उसको फेफड़ों के कैंसर का सबसे कम जोखिम होता है। धूम्रपान के हानिकारक प्रभावों के बारे में अपने परिवार से बात करें ताकि वे किसी के दबाव में आकर धूम्रपान शुरू न करें।

2. जितने भी लम्बे समय से आप धूम्रपान कर रहे हो धूम्रपान छोड़ना आवश्यक है। यदि 50 वर्ष की उम्र से पहले आप धूम्रपान छोड़ देते है तो अगले 10-15 साल में फेफड़ों के कैंसर का खतरा आधा हो सकता है।

3. अगर आपके सामने कोई धूम्रपान करता उसे ऐसा नहीं करने और धूम्रपान छोड़ने के लिए कहें। रेस्तरां, सार्वजनिक स्थानों इत्यादि में धूम्रपान क्षेत्रों से बचे।

4. अगर आप एक ऐसे क्षेत्र में रह रहे है जहाँ रेडान एक समस्या है तो अपने घर में रेडोन के स्तर की जाँच करायें और इस खतरे को कम करने के लिये कदम उठाएं।

5. किसी धूम्रपान करने वाले दोस्तों से भी आपको दूर रहना चाहिए क्योंकि धूम्रपान करने वाले ने अगर सिगरेट पी और वो धूआं आपके अंदर जाता है तो उसका असर आपको भी होगा।

यह भी पढ़ें- World Brain Day: तन और मन के साथ मस्तिष्क को समझना क्यों है जरूरी?