Kalava kyu bandhte hain ये अक्सर लोग सोचते हैं खासकर गैर हिंदू धर्म के लोग लेकिन अगर गौर किया जाए तो लगभग सभी धर्मों में पूजा-पाठ आदि से संबंधित नियम होते हैं, और इस सभी नियम और संस्कारों के स्वास्थ लाभ होते हैं और ये वैज्ञानिक तौर पर भी देखा गया है. हिंदू धर्म में भी पूजा-पाठ और शुभ अवसरों पर कलाई पर मौली (moli) यानी कलावा (Kalava) बांधा जाता है. क्या कभी आपने सोचा है कि इसके पीछे क्या कारण हो सकता है?
बहुत से लोगों के मन में सवाल होता है कि Kalava kyu bandhte hain तो चलिये जानते हैं कि कलाई पर मौली यानी कलावा बांधने के पीछे क्या स्वास्थ लाभ हैं और क्या Kalava वैज्ञानिक कारणों से भी बांधा जाता है.
कहां से हुई Kalava की शुरुआत ? | Kalava kyu bandhte hain
Kalava kyu bandhte hain
शास्त्रों के मुताबिक मौली या कलावा (Kalava) बांधने की परंपरा की शुरुआत देवी लक्ष्मी और राजा बलि के द्वारा की गई थी। Kalava को रक्षा सूत्र भी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि कलाई पर इसके बाधे पाने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है. मान्यता है कि कलावा बांधने से तीनों देवों – ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा बनती है. साथ ही तीनों देवियों सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती की भी कृपा मिलती है. वहीं वेदों में लिखा है कि वृत्रासुर से युद्ध के लिये जाते समय इंद्राणी शची ने भी इंद्र की दाहिनी भुजा पर रक्षासूत्र (जिसे मौली या Kalava भी कहते हैं) बांधा था. जिससे वृत्रासुर को मारकर इंद्र विजयी बने और तभी से रक्षासूत्र या मौली बांधने की प्रथा शुरु हुई.
कहा जाता है कि मौली में उक्त देवी या देवता अदृश्य रूप से विराजमान रहते हैं, और इसीलिये पूजा करके यह Kalava या रक्षा सूत्र बांधा जाता है. मौली का धागा कच्चे सूत से बनाया जाता है और यह कई रंगों जैसे, लाल, पीला, सफेद या नारंगी आदि का होता है. मान्यता है कि इसे हाथों पर बांधने से बरक्कत भी होती है.
विज्ञान के अनुसार महत्व | Scientific Reason
Kalava kyu bandhte hain
शरीर विज्ञान के हिसाब से शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर जाती हैं. जब कलाई पर मौली या Kalava बांधा जाता है तो इससे इन नसों की क्रिया नियंत्रित होती हैं. इससे त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) को काबू किया जाता है. ऐसा भी माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से काफी हद तक बचाव होता है.
पुरुषों और अविवाहित लड़कियों के दाएं हाथ में और विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में मौली या कलावा बांधा जाता है. मान्यता है कि वाहन, बही-खाता, मेन गेट, चाबी के छल्ले और तिजोरी आदि पर भी पवित्र मौली या कलावा बांधने से लाभ होता है. मौली से बनी सजावट की वस्तुएं घर में रखने से बरक्कत होती है और खुशियां आती हैं.
यह भी पढ़ें- हनुमान जी के 5 चमत्कारिक मंदिर जो उनके आज भी होने के देते हैं सबूत
Kalava kyu bandhte hain ये अक्सर लोग सोचते हैं खासकर गैर हिंदू धर्म के लोग लेकिन अगर गौर किया जाए तो लगभग सभी धर्मों में पूजा-पाठ आदि से संबंधित नियम होते हैं, और इस सभी नियम और संस्कारों के स्वास्थ लाभ होते हैं और ये वैज्ञानिक तौर पर भी देखा गया है. हिंदू धर्म में भी पूजा-पाठ और शुभ अवसरों पर कलाई पर मौली (moli) यानी कलावा (Kalava) बांधा जाता है. क्या कभी आपने सोचा है कि इसके पीछे क्या कारण हो सकता है?
बहुत से लोगों के मन में सवाल होता है कि Kalava kyu bandhte hain तो चलिये जानते हैं कि कलाई पर मौली यानी कलावा बांधने के पीछे क्या स्वास्थ लाभ हैं और क्या Kalava वैज्ञानिक कारणों से भी बांधा जाता है.
कहां से हुई Kalava की शुरुआत ? | Kalava kyu bandhte hain
Kalava kyu bandhte hain
शास्त्रों के मुताबिक मौली या कलावा (Kalava) बांधने की परंपरा की शुरुआत देवी लक्ष्मी और राजा बलि के द्वारा की गई थी। Kalava को रक्षा सूत्र भी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि कलाई पर इसके बाधे पाने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है. मान्यता है कि कलावा बांधने से तीनों देवों – ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा बनती है. साथ ही तीनों देवियों सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती की भी कृपा मिलती है. वहीं वेदों में लिखा है कि वृत्रासुर से युद्ध के लिये जाते समय इंद्राणी शची ने भी इंद्र की दाहिनी भुजा पर रक्षासूत्र (जिसे मौली या Kalava भी कहते हैं) बांधा था. जिससे वृत्रासुर को मारकर इंद्र विजयी बने और तभी से रक्षासूत्र या मौली बांधने की प्रथा शुरु हुई.
कहा जाता है कि मौली में उक्त देवी या देवता अदृश्य रूप से विराजमान रहते हैं, और इसीलिये पूजा करके यह Kalava या रक्षा सूत्र बांधा जाता है. मौली का धागा कच्चे सूत से बनाया जाता है और यह कई रंगों जैसे, लाल, पीला, सफेद या नारंगी आदि का होता है. मान्यता है कि इसे हाथों पर बांधने से बरक्कत भी होती है.
विज्ञान के अनुसार महत्व | Scientific Reason
Kalava kyu bandhte hain
शरीर विज्ञान के हिसाब से शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर जाती हैं. जब कलाई पर मौली या Kalava बांधा जाता है तो इससे इन नसों की क्रिया नियंत्रित होती हैं. इससे त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) को काबू किया जाता है. ऐसा भी माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से काफी हद तक बचाव होता है.
पुरुषों और अविवाहित लड़कियों के दाएं हाथ में और विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में मौली या कलावा बांधा जाता है. मान्यता है कि वाहन, बही-खाता, मेन गेट, चाबी के छल्ले और तिजोरी आदि पर भी पवित्र मौली या कलावा बांधने से लाभ होता है. मौली से बनी सजावट की वस्तुएं घर में रखने से बरक्कत होती है और खुशियां आती हैं.
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