Jesus Christ Quotes in Hindi: हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई…कहने को ये अलग-अलग धर्म है लेकिन सृष्टि के रचनाकार सिर्फ एक ही हैं, जो हम सभी के पालनहार हैं और उनके बारे में कोई नहीं जानता. हिंदुओं के लिए सृष्टि के रचनाकार महादेव, विष्णुजी और ब्रह्माजी हैं, मुस्लिमों के लिए अल्लाह हैं, सिखों के लिए गुरुनानक देव जी हैं और ईसाइयों के लिए प्रभु यीशु (Jesus Christ) हैं. सभी एक-दूसरे से झगड़ते हैं कोई गीता को ऊपर बताता है, कोई बाइबिल को तो कोई कुरान को सबसे बेहतर बताता है, लेकिन अगर गौर किया जाए तो इन तीनों पवित्र ग्रंथों में लगभग एक ही बात लिखी है.
प्रभु यीशु के अनमोल उपदेश | Jesus Christ Quotes in Hindi
प्रभु यीशु के उपदेश
सभी बुराई पर अच्छाई की जीत कैसे होती है इस बारे में उल्लेख करते हैं. कुछ ऐसा ही उद्देश्य ईसाई धर्म के प्रवर्तक प्रभु यीशु/ईसा मसीह/जीसस क्राइस्ट ने बताई और उन बातों को उनके शिष्यों ने बाइबिल में लिखी. Jesus Christ Quotes in Hindi पढ़ें और उनके बारे में आपको बहुत सारी चीजों को आपको जानना चाहिए.
प्रभु यीशु के उपदेश
25 दिसंबर को पूरी दुनिया Jesus Christ का जन्मदिवस मनाती है. इनके पिता जोसफ और माता मरियम ने वहां के राजा के आदेश पर येरुशलम गए थे और रात के समय अस्तबल में ठहरे थे.
प्रभु यीशु के उपदेश
करीब 2020 साल पूर्व येरुशलम के बेतलहम नाम के एक गांव में रात के समय हुआ था. यीशु के जन्म के बाद उनके पिता उन्हें लेकर मिस्र चले गए थे.
यीशु जैसे-जैसे बड़े होते गए उनका मन संसारिक कृतियों से हटकर ईश्वर की ओर लगने गया था. लगभग 30 वर्ष की आयु में उन्होंने काफी गहराई से चीजों को समझ लिये और वे सत्य ज्ञान के प्रचार में लग गए थे.
प्रभु यीशु के उपदेश
प्रभु यीशु पर लिखी गई किताब ‘न्यू कैथोलिक इनसाइक्लोपीडिया’ या Encyclopedia of Early Christianity जैसी किताबों में अध्ययन करने पर यह समझ आया है कि प्रभु यीशु के जन्म के बारे में नहीं बताया गया है.
प्रभु यीशु के उपदेश
ईसा मसीह कहते थे कि ईश्वर की अराधना करो, सब मनुष्यों से प्यार करो, दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहारकरो जो तुम दूसरों से चाहते हो. वे हृदय की सरलता और पवित्रता को महत्व देते थे.
प्रभु यीशु के उपदेश
ईसा मसीह की लोकप्रियता के कारण कुछ लोग उनसे चिढ़ने लगे थे. उन्होंने यरूशलम में शासकों को ईसा के खिलाफ भड़काया की ईसा धर्म और राज्य के खिलाफ जनता को संगठित कर रहा है. इसका नतीजा ये हुआ कि ईसा को मृत्युदंड की सजा दी गई.
प्रभु यीशु के उपदेश
उनके हाथ और पैरों में कीलें ठोककर उन्हें कूस पर लटका दिया गया था. ईसा मसीह अपनी मृत्यु की पीड़ा को सहते हुए भी उन्होंने अपने विरोधियों के लिए ईश्वर से प्रार्थना की कि ‘प्रभु इन्हें क्षमा करना क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं.’ ऐसा बताया जाता है कि जब प्रभु यीशु को क्रूस पर लटकाया गया था तब उनकी उम्र 33 वर्ष थी.
प्रभु यीशु के उपदेश
शुक्रवार के दिन उन्हें सूली पर चढ़ाया गया और इसी दिन को ईसाई समुदाय के लोग ‘Good Friday’ यानी काला दिन के रूप में मनाते हैं. रविवार के दिन सिर्फ एक स्त्री (Mary Magdalene) ने उन्हें उनकी कब्र के पास जीवित देखा था और तब से रविवार को ‘Easter Sunday’मनाया जाने लगा.
प्रभु यीशु के उपदेश
ऐसा बताया जाता है कि क्रूस पर लटकाए जाने के तीन दिन बाद ‘Jesus Christ’ जिंदा हो उठे थे और उसी खुशी में ईस्टर संडे मनाया जाता है.
ऐसा भी माना जाता है कि प्रभु यीशु ने मानवता की भलाई और उनकी रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था. जिहोंने उन्हें क्रूस पर चढ़ाया उनकी भी उन्होंने भलाई ही चाही और ईश्वर से उनके लिए प्रार्थना की.
प्रभु यीशु के उपदेश
ईसा मसीह के जन्म के स्थान और दिन को लेकर अलग-अलग विद्वानों में मतभेद है. बाइबिल में भी ईसा मसीह के जन्म की कोई तारीख अंकित नहीं हैऔर आधुनिक विद्वान इनके जन्म को लेकर आश्वस्त नहीं है.
प्रभु यीशु के उपदेश
बहुत से अलग-अलग धर्म के लोग बोलते हैं कि अगल ईसा मसीह खुद ईश्वर थे तो वे मर कैसे सकते हैं. मगर इस बात का उल्लेख कहीं नहीं है. इतिहास के मुताबिक, प्रभु यीशु ने कभी खुद को ईश्वर नहीं कहा, उन्होंने हमेशा खुद को ईश्वर या परमात्मा का पुत्र ही बताया.
प्रभु यीशु के उपदेश
ऐसी मान्यता है कि प्रभु यीशु को ईश्वर ने धरती पर लोगों को पाप से बचाने के लिए भेजा था. ईसा मसीह ने ऐसा करने की भरपूर कोशिश भी की. उनके समर्थकों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई थी जबकि कम समय में इतने समर्थक जुड़ने के कारण कुछ लोग उनसे जलने लगे थे.
प्रभु यीशु के उपदेश
आज भी लोग ईसा मसीह को गॉड या ईश्वर कहते हैं मगर सच ये है कि ईसा मसीह खुद अपने आप को भगवान, ईश्वर या गॉड कहलाना पसंद नहीं करते थे.
उन्होंंने हमेशा खुद को ईश्वर या परमात्मा का पुत्र ही कहा था, मरकर जिंदा होना, वो उनकी अद्भुत शक्ति का परिचय थी. जैसा कि कई किताबों में लिखा हुआ है.
प्रभु यीशु के उपदेश
क्रिसमस का पर्व ईसाई धर्म के संस्थापक जीसस क्राइस्ट के जन्म की खुशी में मनाया जाता है. क्रिसमस का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया, हालांकि जीसस क्राइस्ट के जन्म को लेकर काफी मतभेद है. इस दिन ‘Santa Claus‘ का जिक्र इसलिए होता है क्योंकि सांता प्रभु यीशु को मानते थे और उन्हें भी दूसरों की भलाई खासकर दूसरों की विश पूरा करना पसंद था. ऐसा कई विद्वानों का कहना है.
प्रभु यीशु के उपदेश
Jesus Christ Quotes in Hindi को पढ़ने के बाद आपको उनके जीसस क्राइस्ट के उपदेशों को अपने जीवन में उतारना चाहिए. उन्होंने अपना पूरा जन्म दूसरों की भलाई में लगा दिया और दूसरों को यही बताया कि अच्छाई कभी नहीं छोड़नी चाहिए.
यह भी पढ़ें:Marry Christmas Day: क्या सच में होते हैं ‘Santa Claus’? जानें इसका रोचक रहस्य
Jesus Christ Quotes in Hindi: हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई…कहने को ये अलग-अलग धर्म है लेकिन सृष्टि के रचनाकार सिर्फ एक ही हैं, जो हम सभी के पालनहार हैं और उनके बारे में कोई नहीं जानता. हिंदुओं के लिए सृष्टि के रचनाकार महादेव, विष्णुजी और ब्रह्माजी हैं, मुस्लिमों के लिए अल्लाह हैं, सिखों के लिए गुरुनानक देव जी हैं और ईसाइयों के लिए प्रभु यीशु (Jesus Christ) हैं. सभी एक-दूसरे से झगड़ते हैं कोई गीता को ऊपर बताता है, कोई बाइबिल को तो कोई कुरान को सबसे बेहतर बताता है, लेकिन अगर गौर किया जाए तो इन तीनों पवित्र ग्रंथों में लगभग एक ही बात लिखी है.
प्रभु यीशु के अनमोल उपदेश | Jesus Christ Quotes in Hindi
प्रभु यीशु के उपदेश
सभी बुराई पर अच्छाई की जीत कैसे होती है इस बारे में उल्लेख करते हैं. कुछ ऐसा ही उद्देश्य ईसाई धर्म के प्रवर्तक प्रभु यीशु/ईसा मसीह/जीसस क्राइस्ट ने बताई और उन बातों को उनके शिष्यों ने बाइबिल में लिखी. Jesus Christ Quotes in Hindi पढ़ें और उनके बारे में आपको बहुत सारी चीजों को आपको जानना चाहिए.
प्रभु यीशु के उपदेश
25 दिसंबर को पूरी दुनिया Jesus Christ का जन्मदिवस मनाती है. इनके पिता जोसफ और माता मरियम ने वहां के राजा के आदेश पर येरुशलम गए थे और रात के समय अस्तबल में ठहरे थे.
प्रभु यीशु के उपदेश
करीब 2020 साल पूर्व येरुशलम के बेतलहम नाम के एक गांव में रात के समय हुआ था. यीशु के जन्म के बाद उनके पिता उन्हें लेकर मिस्र चले गए थे.
यीशु जैसे-जैसे बड़े होते गए उनका मन संसारिक कृतियों से हटकर ईश्वर की ओर लगने गया था. लगभग 30 वर्ष की आयु में उन्होंने काफी गहराई से चीजों को समझ लिये और वे सत्य ज्ञान के प्रचार में लग गए थे.
प्रभु यीशु के उपदेश
प्रभु यीशु पर लिखी गई किताब ‘न्यू कैथोलिक इनसाइक्लोपीडिया’ या Encyclopedia of Early Christianity जैसी किताबों में अध्ययन करने पर यह समझ आया है कि प्रभु यीशु के जन्म के बारे में नहीं बताया गया है.
प्रभु यीशु के उपदेश
ईसा मसीह कहते थे कि ईश्वर की अराधना करो, सब मनुष्यों से प्यार करो, दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहारकरो जो तुम दूसरों से चाहते हो. वे हृदय की सरलता और पवित्रता को महत्व देते थे.
प्रभु यीशु के उपदेश
ईसा मसीह की लोकप्रियता के कारण कुछ लोग उनसे चिढ़ने लगे थे. उन्होंने यरूशलम में शासकों को ईसा के खिलाफ भड़काया की ईसा धर्म और राज्य के खिलाफ जनता को संगठित कर रहा है. इसका नतीजा ये हुआ कि ईसा को मृत्युदंड की सजा दी गई.
प्रभु यीशु के उपदेश
उनके हाथ और पैरों में कीलें ठोककर उन्हें कूस पर लटका दिया गया था. ईसा मसीह अपनी मृत्यु की पीड़ा को सहते हुए भी उन्होंने अपने विरोधियों के लिए ईश्वर से प्रार्थना की कि ‘प्रभु इन्हें क्षमा करना क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं.’ ऐसा बताया जाता है कि जब प्रभु यीशु को क्रूस पर लटकाया गया था तब उनकी उम्र 33 वर्ष थी.
प्रभु यीशु के उपदेश
शुक्रवार के दिन उन्हें सूली पर चढ़ाया गया और इसी दिन को ईसाई समुदाय के लोग ‘Good Friday’ यानी काला दिन के रूप में मनाते हैं. रविवार के दिन सिर्फ एक स्त्री (Mary Magdalene) ने उन्हें उनकी कब्र के पास जीवित देखा था और तब से रविवार को ‘Easter Sunday’मनाया जाने लगा.
प्रभु यीशु के उपदेश
ऐसा बताया जाता है कि क्रूस पर लटकाए जाने के तीन दिन बाद ‘Jesus Christ’ जिंदा हो उठे थे और उसी खुशी में ईस्टर संडे मनाया जाता है.
ऐसा भी माना जाता है कि प्रभु यीशु ने मानवता की भलाई और उनकी रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था. जिहोंने उन्हें क्रूस पर चढ़ाया उनकी भी उन्होंने भलाई ही चाही और ईश्वर से उनके लिए प्रार्थना की.
प्रभु यीशु के उपदेश
ईसा मसीह के जन्म के स्थान और दिन को लेकर अलग-अलग विद्वानों में मतभेद है. बाइबिल में भी ईसा मसीह के जन्म की कोई तारीख अंकित नहीं हैऔर आधुनिक विद्वान इनके जन्म को लेकर आश्वस्त नहीं है.
प्रभु यीशु के उपदेश
बहुत से अलग-अलग धर्म के लोग बोलते हैं कि अगल ईसा मसीह खुद ईश्वर थे तो वे मर कैसे सकते हैं. मगर इस बात का उल्लेख कहीं नहीं है. इतिहास के मुताबिक, प्रभु यीशु ने कभी खुद को ईश्वर नहीं कहा, उन्होंने हमेशा खुद को ईश्वर या परमात्मा का पुत्र ही बताया.
प्रभु यीशु के उपदेश
ऐसी मान्यता है कि प्रभु यीशु को ईश्वर ने धरती पर लोगों को पाप से बचाने के लिए भेजा था. ईसा मसीह ने ऐसा करने की भरपूर कोशिश भी की. उनके समर्थकों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई थी जबकि कम समय में इतने समर्थक जुड़ने के कारण कुछ लोग उनसे जलने लगे थे.
प्रभु यीशु के उपदेश
आज भी लोग ईसा मसीह को गॉड या ईश्वर कहते हैं मगर सच ये है कि ईसा मसीह खुद अपने आप को भगवान, ईश्वर या गॉड कहलाना पसंद नहीं करते थे.
उन्होंंने हमेशा खुद को ईश्वर या परमात्मा का पुत्र ही कहा था, मरकर जिंदा होना, वो उनकी अद्भुत शक्ति का परिचय थी. जैसा कि कई किताबों में लिखा हुआ है.
प्रभु यीशु के उपदेश
क्रिसमस का पर्व ईसाई धर्म के संस्थापक जीसस क्राइस्ट के जन्म की खुशी में मनाया जाता है. क्रिसमस का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया, हालांकि जीसस क्राइस्ट के जन्म को लेकर काफी मतभेद है. इस दिन ‘Santa Claus‘ का जिक्र इसलिए होता है क्योंकि सांता प्रभु यीशु को मानते थे और उन्हें भी दूसरों की भलाई खासकर दूसरों की विश पूरा करना पसंद था. ऐसा कई विद्वानों का कहना है.
प्रभु यीशु के उपदेश
Jesus Christ Quotes in Hindi को पढ़ने के बाद आपको उनके जीसस क्राइस्ट के उपदेशों को अपने जीवन में उतारना चाहिए. उन्होंने अपना पूरा जन्म दूसरों की भलाई में लगा दिया और दूसरों को यही बताया कि अच्छाई कभी नहीं छोड़नी चाहिए.
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