देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अहिंसा के पुजारी थे और उनका कहना था कि अगर किसी देश की महानता देखनी है तो देख लो कि उस देश के लोग जानवरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। अब आप ही बताइए क्या हम अपने भारत को महान कहने के लायक हैं? केरल में हुई एक हथिनी की मौत के बाद सोशल मीडिया पर ये बात सामने आते ही लोगों में सहानुभूति, गुस्सा और दुख के भाव दिखने लगे। तस्वीरें मन को झकझोर देने वाली थीं लेकिन ये दुख और गुस्सा सिर्फ इस हथिनी की मौत पर क्यों?
ऐसे तो जानवरों की स्थिति हमारे देश में कुछ खास नहीं, लोग उन्हें अपनी जरूरतों के लिए मारकर उनके खाल, दांत और शरीर के बाकी हिस्सों का इस्तेमाल करते हैं। इतना ही नहीं स्वाद के नाम पर लोग उन्हें मारकर खा भी जाते हैं। क्या ये सब सही है? हमारे शरीर के किसी भाग में कटने पर जो तकलीफ होती है बिल्कुल वैसी ही तकलीफ उन जानवरों को भी तो होती है तो फिर हम ऐसा क्यों करते हैं?
हथिनी की मौत हुई या हत्या?
हथिनी की मौत
जब एक गर्भवती हथिनी केरल के मल्लपुरम जिले के पास जंगल से गांव तक खाने की तलाश में पहुंची तो उसे कुछ इंसान मिले। उन्होंने उसे जलते हुए पटाखों से भरा अनानास खाने को दिया जो हथिनी ने खाया और वो उसके पेट में फट गया। जब हथिनी को जलन महससू हुई तो वो इधर-उधर भटकने लगी जिससे कोई इसकी मदद कर दे लेकिन किसी ने इस हथिनी की मदद नहीं की। तभी उसे पास में एक नदी नजर आई जिसमें जाकर वो खड़ी हो गई। कुछ देर बाद उसका जबड़ा और जीभ बुरी तरह घायल हो गए और दांत भी टूट गए, फिर हथिनी की मौत हो गई। इस पूरी प्रक्रिया में वो बिल्कुल शांत अवस्था में रही, किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया, जबकि ऐसी हालत में कोई हाथी पागल होकर कुछ भी कर सकता था। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हाथिनी ने लगभग एक हफ्ते तक इस दर्द को सहा और फिर 27 मई को मौत हो गई। सोशल मीडिया पर रेपिड रिस्पॉन्स टीम के एक अधिकारी ने भावुक पोस्ट लिखकर शेयर किया था। इसके बाद हर किसी ने इसे शेयर किया और तमाम लोगों ने अलग-अलग तरह से दुख व्यक्त किया।
गर्भवति हथिनी का भ्रुण
वन विभाग के अधिकारियों ने इस हथिनी को पानी से बाहर निकाला और जब इसका पोस्टमार्टम हुआ तब उन्हें पता चला हथिनी गर्भवति थी। पोस्टमार्टम करने वाले व्यक्ति का कहना था कि उसने अब तक के करियर में 250 से ज्यादा हाथी का पोस्टमार्टम किया है लेकिन आज पहली बार किसी गर्भवती हथिनी का भ्रूण हाथ में लिया। उसके बाद वो काफी भावुक हो गया था, सोशल मीडिया पर लोगों में ह्यूमन होने का अफसोस और ऐसी वारदात करने वाले के प्रति गुस्सा दिखाई देने लगा। केरल सरकार ने लोगों का रवैया देखते हुए एक्शन लिया और आरोपियों को किसी भी हालत में पकड़ने का आदेश दिया। उस हथिनी की मौत से हर किसी में मानवता के मरने की भावना व्यक्त हुई लेकिन ऐसे तो हर दिन ना जाने कितने बेजुबान जानवरों को मार दिया जाता है, क्या उनकी जान की कोई कीमत नहीं?
जानवरों से करें प्यार | Love Animals
ईश्वर ने सृष्टि का निर्माण किया और इंसान के साथ-साथ इस जमीं पर हर पशु-पक्षी, जीव-जंतु, कीड़े-मकौड़ों को रहने का समान अधिकार दिया। मगर इंसान ने अपनी जरूरतों के हिसाब से उन जीव-जंतुओं का इस्तेमाल किया, किसी ने उनकी खालों से कपड़े बनाए, किसी ने दांतों से कोई कठोर चीज, किसी ने बालों से ब्रश बनाए तो किसी ने स्वाद के लिए उन्हें खाना शुरु कर दिया। यहां दुनिया कि नहीं सिर्फ अपने देश की बात कर रहे हैं, जहां की संस्कृति में प्रेम है तो फिर हम इन बेजुबान जानवरों को क्यों खाते हैं। जब मेरी किसी नॉनवेज खाने वाले से इस बारे में चर्चा होती है तो वे तर्क देने लगते हैं कि खाएंगे नहीं तो ये बढ़ते चले जाएंगे तो मेरा यही जवाब होता है इंसान को भी खाओ उनकी संख्या भी तो निरंतर बढ़ती जा रही है। सनातन धर्म के अनुसार, किसी भी जीव को मारकर खाना इंसान नहीं दानव कहलाता है लेकिन इसी धर्म में हर जाति के लोगों में कोई ना कोई मांसाहारी पाया जाता है।
किसी भी जानवर के प्रति प्रेम भाव रखें।
मासूम जानवरों को इंसान के प्यार की जरूरत होती है, वे अपना दर्द किसी से बोलकर नहीं बांट सकते। मगर भावना हर किसी के अंदर होती है, अगर हम किसी भी जानवरों को परेशान नहीं करें तो वो हमें आहात नहीं पहुंचाएंगे। जानवरों को बांध दिया जाता है, अगर उनका कोई काम करने का मन नहीं तो इंसान उन्हें लाठी या चाबुक से मारकर वो काम करवाते हैं, आखिर एक बेजुबान पर इतना अत्याचार क्यों? आमतौर पर हमें कुत्ता, बिल्ली, गाय, भैंस, पक्षी जैसे जीव देखने को मिलते हैं, अगर हम उनके लिए कुछ कर नहीं सकते तो कम से कम उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएं इसका हम सभी को ख्याल रखना चाहिए। हथिनी की मौत का दुख बहुत है और उसे इंसाफ भी मिलना चाहिए लेकिन हमें हर जानवरों के बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि हम इंसान हैं हमारे पास दिमाग, जुबान और कुछ भी करने की ताकत है लेकिन वे बेजुबान हैं और उनका भी कोई ना कोई अपना होता है। इस लेख को पढ़ने वाले हर इंसान से मेरी प्रार्थना है, सिर्फ स्वाद या सुख के लिए बेजुबान जानवरों पर अत्याचार नहीं करें और अगर आपके सामने कोई ऐसा करे तो एक बार उन्हें जरूर रोकें। अगर वे नहीं माने तो वो उनका ईमान होगा लेकिन आप अपनी कोशिश जरूर करें।
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देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अहिंसा के पुजारी थे और उनका कहना था कि अगर किसी देश की महानता देखनी है तो देख लो कि उस देश के लोग जानवरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। अब आप ही बताइए क्या हम अपने भारत को महान कहने के लायक हैं? केरल में हुई एक हथिनी की मौत के बाद सोशल मीडिया पर ये बात सामने आते ही लोगों में सहानुभूति, गुस्सा और दुख के भाव दिखने लगे। तस्वीरें मन को झकझोर देने वाली थीं लेकिन ये दुख और गुस्सा सिर्फ इस हथिनी की मौत पर क्यों?
ऐसे तो जानवरों की स्थिति हमारे देश में कुछ खास नहीं, लोग उन्हें अपनी जरूरतों के लिए मारकर उनके खाल, दांत और शरीर के बाकी हिस्सों का इस्तेमाल करते हैं। इतना ही नहीं स्वाद के नाम पर लोग उन्हें मारकर खा भी जाते हैं। क्या ये सब सही है? हमारे शरीर के किसी भाग में कटने पर जो तकलीफ होती है बिल्कुल वैसी ही तकलीफ उन जानवरों को भी तो होती है तो फिर हम ऐसा क्यों करते हैं?
हथिनी की मौत हुई या हत्या?
हथिनी की मौत
जब एक गर्भवती हथिनी केरल के मल्लपुरम जिले के पास जंगल से गांव तक खाने की तलाश में पहुंची तो उसे कुछ इंसान मिले। उन्होंने उसे जलते हुए पटाखों से भरा अनानास खाने को दिया जो हथिनी ने खाया और वो उसके पेट में फट गया। जब हथिनी को जलन महससू हुई तो वो इधर-उधर भटकने लगी जिससे कोई इसकी मदद कर दे लेकिन किसी ने इस हथिनी की मदद नहीं की। तभी उसे पास में एक नदी नजर आई जिसमें जाकर वो खड़ी हो गई। कुछ देर बाद उसका जबड़ा और जीभ बुरी तरह घायल हो गए और दांत भी टूट गए, फिर हथिनी की मौत हो गई। इस पूरी प्रक्रिया में वो बिल्कुल शांत अवस्था में रही, किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया, जबकि ऐसी हालत में कोई हाथी पागल होकर कुछ भी कर सकता था। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हाथिनी ने लगभग एक हफ्ते तक इस दर्द को सहा और फिर 27 मई को मौत हो गई। सोशल मीडिया पर रेपिड रिस्पॉन्स टीम के एक अधिकारी ने भावुक पोस्ट लिखकर शेयर किया था। इसके बाद हर किसी ने इसे शेयर किया और तमाम लोगों ने अलग-अलग तरह से दुख व्यक्त किया।
गर्भवति हथिनी का भ्रुण
वन विभाग के अधिकारियों ने इस हथिनी को पानी से बाहर निकाला और जब इसका पोस्टमार्टम हुआ तब उन्हें पता चला हथिनी गर्भवति थी। पोस्टमार्टम करने वाले व्यक्ति का कहना था कि उसने अब तक के करियर में 250 से ज्यादा हाथी का पोस्टमार्टम किया है लेकिन आज पहली बार किसी गर्भवती हथिनी का भ्रूण हाथ में लिया। उसके बाद वो काफी भावुक हो गया था, सोशल मीडिया पर लोगों में ह्यूमन होने का अफसोस और ऐसी वारदात करने वाले के प्रति गुस्सा दिखाई देने लगा। केरल सरकार ने लोगों का रवैया देखते हुए एक्शन लिया और आरोपियों को किसी भी हालत में पकड़ने का आदेश दिया। उस हथिनी की मौत से हर किसी में मानवता के मरने की भावना व्यक्त हुई लेकिन ऐसे तो हर दिन ना जाने कितने बेजुबान जानवरों को मार दिया जाता है, क्या उनकी जान की कोई कीमत नहीं?
जानवरों से करें प्यार | Love Animals
ईश्वर ने सृष्टि का निर्माण किया और इंसान के साथ-साथ इस जमीं पर हर पशु-पक्षी, जीव-जंतु, कीड़े-मकौड़ों को रहने का समान अधिकार दिया। मगर इंसान ने अपनी जरूरतों के हिसाब से उन जीव-जंतुओं का इस्तेमाल किया, किसी ने उनकी खालों से कपड़े बनाए, किसी ने दांतों से कोई कठोर चीज, किसी ने बालों से ब्रश बनाए तो किसी ने स्वाद के लिए उन्हें खाना शुरु कर दिया। यहां दुनिया कि नहीं सिर्फ अपने देश की बात कर रहे हैं, जहां की संस्कृति में प्रेम है तो फिर हम इन बेजुबान जानवरों को क्यों खाते हैं। जब मेरी किसी नॉनवेज खाने वाले से इस बारे में चर्चा होती है तो वे तर्क देने लगते हैं कि खाएंगे नहीं तो ये बढ़ते चले जाएंगे तो मेरा यही जवाब होता है इंसान को भी खाओ उनकी संख्या भी तो निरंतर बढ़ती जा रही है। सनातन धर्म के अनुसार, किसी भी जीव को मारकर खाना इंसान नहीं दानव कहलाता है लेकिन इसी धर्म में हर जाति के लोगों में कोई ना कोई मांसाहारी पाया जाता है।
किसी भी जानवर के प्रति प्रेम भाव रखें।
मासूम जानवरों को इंसान के प्यार की जरूरत होती है, वे अपना दर्द किसी से बोलकर नहीं बांट सकते। मगर भावना हर किसी के अंदर होती है, अगर हम किसी भी जानवरों को परेशान नहीं करें तो वो हमें आहात नहीं पहुंचाएंगे। जानवरों को बांध दिया जाता है, अगर उनका कोई काम करने का मन नहीं तो इंसान उन्हें लाठी या चाबुक से मारकर वो काम करवाते हैं, आखिर एक बेजुबान पर इतना अत्याचार क्यों? आमतौर पर हमें कुत्ता, बिल्ली, गाय, भैंस, पक्षी जैसे जीव देखने को मिलते हैं, अगर हम उनके लिए कुछ कर नहीं सकते तो कम से कम उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएं इसका हम सभी को ख्याल रखना चाहिए। हथिनी की मौत का दुख बहुत है और उसे इंसाफ भी मिलना चाहिए लेकिन हमें हर जानवरों के बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि हम इंसान हैं हमारे पास दिमाग, जुबान और कुछ भी करने की ताकत है लेकिन वे बेजुबान हैं और उनका भी कोई ना कोई अपना होता है। इस लेख को पढ़ने वाले हर इंसान से मेरी प्रार्थना है, सिर्फ स्वाद या सुख के लिए बेजुबान जानवरों पर अत्याचार नहीं करें और अगर आपके सामने कोई ऐसा करे तो एक बार उन्हें जरूर रोकें। अगर वे नहीं माने तो वो उनका ईमान होगा लेकिन आप अपनी कोशिश जरूर करें।
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