‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी के ये हैं 7 बेबाक बोल, एक बार जरूर पढ़िए

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अटल बिहारी बाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee)..राजनीति का एक ऐसा चेहरा जिसकी जगह शायद ही कोई ले पाए। जिन्होंने सोचा तो पत्रकार बनने का था लेकिन आ राजनीति में गए थे। इस वजह से वे पत्रकारों का बहुत सम्मान करते थे और उनसे कहते थे ‘जो मैं करना चाहता था वो आप लोग कर रहे हैं।’ अटल बिहारी बाजपेयी 16 अगस्त, 2018 को लंबे समय से बीमारी के कारण 94 साल की उम्र मे दुनिया को अलविदा कह गए थे.

जब उनका निधन हुआ था तो लोगों ने कहा कि 15 अगस्त के जश्न में कोई दखल ना आए इसलिए अटल जी ने अगले दिन अपनी मृत्यु चुनी, हालांकि सभी जानते हैं ये सिर्फ एक बात है क्योंकि जिंदगी मौत कभी किसी इंसान के हाथ में नहीं होती है। अगर Atal Bihari Vajpayee आज जिंदा होते तो अपना 96वां जन्मदिन मना रहे होते. आज उनके जन्मदिवस के मौके पर हम आपको बताएंगे कि वह कितने प्रभावशाली बातें कहते थे।

अटल बिहारी बाजपेयी के बेबाक बोल | Atal Bihari Vajpayee Statements

Atal Bihari Vajpayee

Atal Bihari Vajpayee अक्सर अपने भाषणों के जरिए पहचाने जाते थे। उनके भाषणों में विपक्ष पर वार कम और देश की चिंता ज्यादा रहती थी। भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व करते हुए उन्होंने तीन बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं और उस दौरान बहुत से ऐसे काम करवाए लेकिन बाद में कांग्रेस की सरकार ने फिर सब बदल दिया। उनके भाषण को या जब वे बोलते थे तब हर कोई उन्हें सुनता था और अक्सर सदन में भी वे अपनी कविताओं के जरिए बहुत सी बातें बोलते थे जिससे सामने वाले की बोलती बंद हो जाती थी। 31 मई, 1996 को अटल जी प्रधानमंत्री थे और उनकी सरकार के खिलाफ काफी अविश्वास प्रस्ताव आए तो उन्होंने खुद सदन में पार्टी के कम सपोर्ट करने की बात कहकर राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंप दिया था. उस दौरान अटल जी ने जो भाषण दिया था वो राजनीति के सर्वश्रेष्ठ भाषण में गिना जाता है। इसके साथ ही अटल जी ने जो बातें विपक्षी दलों, पत्रकारों के बारे में कही उनसे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। पढ़िए वे सभी बातें…

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1. ”कई बार कुछ ऐसा सुनने में आता है कि बाजपेयी तो अच्छा लेकिन पार्टी खराब है…अच्छा तो इस अच्छे बाजपेयी का आप क्या करने का इरादा रखते हैं ?”

2. ”आज मैं प्रधानमंत्री हूं, थोड़ी देर बाद नहीं रहूंगा…प्रधानमंत्री बनते समय कोई मेरा हृदय आनंद से उछलने नहीं लगा था और ऐसा नहीं है कि सबकुछ छोड़छाड़ कर जब चला जाऊंगा तो मुझे कोई दुख ना होगा..”

3. ”मैंने 40 साल से ज्यादा इस सदन में बिता दिया, सदस्यों ने मेरा व्यवहार, आचरण देखा है लेकिन पार्टी तोड़कर सत्ता के लिए नया गठबंधन करके अगर सत्ता हाथ में आए तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा”

4. ”हमारे प्रयासों के पीछे 40 सालों की साधना है, यह कोई आकस्मिक जनादेश नहीं है कोई चमत्कार नहीं हुआ है, हमने मेहनत की है और हम लोगों के बीच आए हैं तो हमने संघर्ष भी खूब किया है, यह पार्टी 365 दिन चलने वाली पार्टी है और यह कोई चुनाव में कुकुरमुत्ते की तरह खड़ी होने वाली पार्टी भी नहीं है।”

Atal Bihari Vajpayee

5. ”राजनीति में जो कुछ भी पार्दर्शी है, दल अगर साथ आते हैं तो कार्यक्र के आधार पर आए हिस्सा बांट के आधार पर नहीं है। बैंकों में लाखों रुपये जमा किए जाए और इसके लेकर नहीं है।”

6. अटल जी और आडवाणी जी का नाम हमेशा साथ में लिया जाता था। उस दौरान अटल जी ने मजाकिया अंदाज में कहा, ”भारत और पाकिस्तान को साथ-साथ लाने का एक ही तरीका है कि दोनों देशों में सिंधी बोलने वाले प्रधानमंत्री बन जाएं, जो मेरी इच्छा थी वो पाकिस्तान में तो पूरी हो गई है लेकिन भारत में ये सपना पूरा होना अभी बाकी है।”

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7. पत्रकारों को लेकर उनका काफी सरल व्यवहार था और एक बार पत्रकारों के लिए उन्होंने कहा था, ”मैं पत्रकार होना चाहता था लेकिन प्रधानमंत्री बन गया। आजकल पत्रकार मेरी हालत खराब कर देते हैं लेकिन मैं बुरा नहीं मानता हूं….क्योंकि मैंने ये सब पहले किया है।”

25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर Atal Bihari Vajpayee का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनकी पढ़ाई झांसी, लखनऊ और कानपुर में हुई थी. राजनीति में आकर इन्होंने बीजेपी पार्टी के नेतृत्व में बहुत सारे काम किए और प्रधानमंत्री भी बने. राजनीतिज्ञ के अलाव बाजपेयी जी एक बेहतरीन लेखक भी थे और उनकी कई कविता, कहानियां और गीत किताबों, कैसेट के जरिए लोगों तक पहुंची.

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