2 अक्टूबर को पूरा देश गांधी जयंती मनाने वाला है, हर जगह तैयारियां खत्म हो चुकी हैं। स्कूल, कॉलेज और ऑफिसों में छुट्टी होती है या फिर देश के राष्ट्रपिता के रूप में उन्हें याद किया जाता है। गांधी के जीवन में बहुत कुछ अच्छा-बुरा हुआ, लेकिन उनके लिए सबसे आगे देश था और देश के लिए ही उन्होने खुद को समर्पित कर दिया। मगर कुछ किताबों में महात्मा गांधी के बारे में बहुत सी ऐसी चीजें लिखी हैं जिनके बारे में आमतौर पर लोगों को नहीं पता होगा। कुछ किताबों में ये भी लिखा है कि Mahatma Gandhi का संबंध इन 5 महिलाओं से था लेकिन ये संबंध किस रूप में इसके बारे में जानना देशवासियों के लिए जरूरी है।
5 महिलाओं के करीब थे महात्मा गांधी | Mahatma Gandhi with women
महात्मा गांधी की कई तस्वीरों में आपने उनके साथ अलग-अलग महिलाओं को देखा होगा। इस भीड़ में कुछ नाम ऐसे लोगों के रहे, जिन्हें भारत का लगभग हर नागरिक जानता है। मसलन जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल या कस्तूरबा गांधी, मगर इनके अलावा कौन था जो गांधी जी के करीब था? गांधी के करीब रही इस भीड़ में कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्हें कम लोग जानते थे। हम आपको यहां कुछ ऐसी ही महिलाओं के बारे में बताएंगे जो मोहनदास करमचंद गांधी के विचारों की वजह से उनके करीब रहीं। इन महिलाओं की जिंदगी में गांधी जी ने एक गहरा असर छोड़ा था जिसके रास्ते पर चलकर महात्मा गांधी ने चलना शुरु किया और ये महिलाएं उसी रास्ते पर आगे बढ़ीं जिसके बारे में गांधी जी कहा करते थे। मगर ये महिलाएं गांधी जी के ज्यादातक करीब रहीं..
मेडेलीन स्लेड उर्फ मीराबेन (1892-1982)
मेडेलीन ब्रिटिश एडमिरल सर एडमंड स्लेड की बेटी थीं जिनका जीवन ओहदेदार ब्रिटिश अफसर की बेटी होने के कारण अनुशासन में ही गुज़रा। मेडेलीन जर्मन पियानिस्ट और संगीतकार बीथोवेन की दीवानी थीं और इसी कारण वो लेखक और फ़्रांसीसी बुद्धिजीवी रोमैन रौलेंड के संपर्क में आई। ये वही रोमैन रौलेंड थे, जिन्होंने ना सिर्फ संगीतकारों पर लिखा बल्कि Mahatma Gandhi की बायोग्राफी भी लिखी थी। गांधी पर लिखी हुई रोमन की बायोग्राफी ने मेडेलीन को काफी प्रभावित किया। गांधी का प्रभाव मेडेलीन पर इस कदर रहा कि उन्होंने ज़िंदगी को लेकर गांधी के बताए रास्तों पर चलने की ठानी और उनके सिद्धांतों को अपनाया। गांधी के बारे में पढ़कर वे काभी रोमांचित हुई और गांधी जी को एक खत लिखा अपने अनुभव साझा किए और आश्रम आने की इच्छा ज़ाहिर की थी। अक्टूबर, 1925 में वो मुंबई के रास्ते अहमदाबाद पहुंची और गांधी से अपनी पहली मुलाकात को मेडेलीन ने कुछ यूं बयां किया, ‘जब मैं वहां दाखिल हुई तो सामने से एक दुबला शख्स सफेद गद्दी से उठकर मेरी तरफ बढ़ा। मैं जानती थी कि ये शख्स बापू थे और मैं हर्ष और श्रद्धा से भर गई थी, मुझे बस सामने एक दिव्य रौशनी दिखाई दे रही थी।
निला क्रैम कुक (1972-1945)
आश्रम में लोग निला क्रैम कुक को निला नागिनी कहते थे और खुद को कृष्ण की गोपी मानने वाली निला माउंटआबू में एक स्वामी (धार्मिक गुरु) के साथ रहती थीं। अमेरिका में जन्मी निला को मैसूर के राजकुमार से इश्क हुआ और इन्होंने साल 1932 में गांधी को बैंगलुरु से खत लिखा था। इस खत में उन्होंने छुआछुत के ख़िलाफ किए जा रहे कामों के बारे में गांधीजी को बताया. दोनों के बीच खतों का सिलसिला शुरू हुआ और अगले बरस फरवरी, 1933 में निला की मुलाकात यरवडा जेल में महात्मा गांधी से हुई थी। बाद में वो एक रोज़ वृंदावन में मिलीं थी और कुछ समय बाद उन्हें अमरीका भेज दिया गया, जहां उन्होंने इस्लाम कबूल लिया और कुरान का अनुवाद भी किया।
यह भी पढ़ें- ‘भारत रत्न’ लाल बहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य आज भी क्यों है कायम?
सरला चौधरानी (1872-1945)
उच्च शिक्षा और सौम्य नजर आने वाली सरला देवी की भाषाओं, सगीत और लेखन में काफी रूचि थी। सरला रविंद्रनाथ टैगोर की भतीजी भी थी और लाहौर में गांधी सरला के घर पर ही रुके थे। ये वैसा दौर था, जब सरला के स्वतंत्रता सेनानी पति रामभुज दत्त चौधरी जेल में सजा काट रहे थे। Mahatma Gandhiसरला को अपनी आध्यात्मिक पत्नी बताते थे और बाद के दिनों में गांधी ने भी ये माना कि इस रिश्ते के कारण उनकी शादी टूटते-टूटते बची। गांधी और सरला ने खादी के प्रचार के लिए भारत दौरा किया था। और दोनों के रिश्तों की खबर गांधी के करीबियों को भी हो गई। कुछ समय बाद हिमालय में एकांतवास करते हुए सरला की मौत हो गई थी।
सरोजिनी नायडू (1879-1949)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष सरोजिनी नायडू हैं। गांधी की गिरफ्तारी के बाद नमक सत्याग्राह की अगुवाई सरोजिनी नायडू ने की थी। सरोजिनी और गांधी की पहली मुलाकात लंदन में हुई और इसके बाद सरोजिनी ने उसे कुछ इस तरह बताया था, ‘एक छोटे कद का आदमी, जिसके सिर पर बाल नहीं थे। ज़मीन पर कंबल ओढ़े ये आदमी जैतून तेल से सने हुए टमाटर खाने वाले थे। दुनिया के मशहूर नेता को यूं देखकर मैं खुशी से हंसने लगी, तभी वो अपनी आंख उठाकर मुझसे पूछते हैं।’ दुनिया में इनकी कविताओं को खूब पसंद किया गया।
राजकुमारी अमृत कौर (1889-1964)
शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली राजकुमारी पंजाब के कपूरथला के राजा सर हरनाम सिंह की बेटी थी। इनकी पढ़ाई लंदन में हुई थी और उस दौरान ही इनकी मुलाकात गांधी जी से हुई थी। इन्हें गांधी जी की सबसे करीबी सत्याग्रहियों में गिना जाता था और इसके बदले में सम्मान और जुड़ाव रखने लगी थीं। नमक सत्याग्रह और साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में वे जेल भी गई थीं और आजाद भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री भी बनी थीं। गांधी राजकुमारी अमृत कौर को लिखे खत की शुरुआत कुछ इस तरह होती थी, ‘मेरी प्यारी पगली और बागी।’
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जन्मदिन विशेष :भारत के बंटवारे के समय Mahatma Gandhi का हो गया था ऐसा हाल
2 अक्टूबर को पूरा देश गांधी जयंती मनाने वाला है, हर जगह तैयारियां खत्म हो चुकी हैं। स्कूल, कॉलेज और ऑफिसों में छुट्टी होती है या फिर देश के राष्ट्रपिता के रूप में उन्हें याद किया जाता है। गांधी के जीवन में बहुत कुछ अच्छा-बुरा हुआ, लेकिन उनके लिए सबसे आगे देश था और देश के लिए ही उन्होने खुद को समर्पित कर दिया। मगर कुछ किताबों में महात्मा गांधी के बारे में बहुत सी ऐसी चीजें लिखी हैं जिनके बारे में आमतौर पर लोगों को नहीं पता होगा। कुछ किताबों में ये भी लिखा है कि Mahatma Gandhi का संबंध इन 5 महिलाओं से था लेकिन ये संबंध किस रूप में इसके बारे में जानना देशवासियों के लिए जरूरी है।
5 महिलाओं के करीब थे महात्मा गांधी | Mahatma Gandhi with women
महात्मा गांधी की कई तस्वीरों में आपने उनके साथ अलग-अलग महिलाओं को देखा होगा। इस भीड़ में कुछ नाम ऐसे लोगों के रहे, जिन्हें भारत का लगभग हर नागरिक जानता है। मसलन जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल या कस्तूरबा गांधी, मगर इनके अलावा कौन था जो गांधी जी के करीब था? गांधी के करीब रही इस भीड़ में कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्हें कम लोग जानते थे। हम आपको यहां कुछ ऐसी ही महिलाओं के बारे में बताएंगे जो मोहनदास करमचंद गांधी के विचारों की वजह से उनके करीब रहीं। इन महिलाओं की जिंदगी में गांधी जी ने एक गहरा असर छोड़ा था जिसके रास्ते पर चलकर महात्मा गांधी ने चलना शुरु किया और ये महिलाएं उसी रास्ते पर आगे बढ़ीं जिसके बारे में गांधी जी कहा करते थे। मगर ये महिलाएं गांधी जी के ज्यादातक करीब रहीं..
मेडेलीन स्लेड उर्फ मीराबेन (1892-1982)
मेडेलीन ब्रिटिश एडमिरल सर एडमंड स्लेड की बेटी थीं जिनका जीवन ओहदेदार ब्रिटिश अफसर की बेटी होने के कारण अनुशासन में ही गुज़रा। मेडेलीन जर्मन पियानिस्ट और संगीतकार बीथोवेन की दीवानी थीं और इसी कारण वो लेखक और फ़्रांसीसी बुद्धिजीवी रोमैन रौलेंड के संपर्क में आई। ये वही रोमैन रौलेंड थे, जिन्होंने ना सिर्फ संगीतकारों पर लिखा बल्कि Mahatma Gandhi की बायोग्राफी भी लिखी थी। गांधी पर लिखी हुई रोमन की बायोग्राफी ने मेडेलीन को काफी प्रभावित किया। गांधी का प्रभाव मेडेलीन पर इस कदर रहा कि उन्होंने ज़िंदगी को लेकर गांधी के बताए रास्तों पर चलने की ठानी और उनके सिद्धांतों को अपनाया। गांधी के बारे में पढ़कर वे काभी रोमांचित हुई और गांधी जी को एक खत लिखा अपने अनुभव साझा किए और आश्रम आने की इच्छा ज़ाहिर की थी। अक्टूबर, 1925 में वो मुंबई के रास्ते अहमदाबाद पहुंची और गांधी से अपनी पहली मुलाकात को मेडेलीन ने कुछ यूं बयां किया, ‘जब मैं वहां दाखिल हुई तो सामने से एक दुबला शख्स सफेद गद्दी से उठकर मेरी तरफ बढ़ा। मैं जानती थी कि ये शख्स बापू थे और मैं हर्ष और श्रद्धा से भर गई थी, मुझे बस सामने एक दिव्य रौशनी दिखाई दे रही थी।
निला क्रैम कुक (1972-1945)
आश्रम में लोग निला क्रैम कुक को निला नागिनी कहते थे और खुद को कृष्ण की गोपी मानने वाली निला माउंटआबू में एक स्वामी (धार्मिक गुरु) के साथ रहती थीं। अमेरिका में जन्मी निला को मैसूर के राजकुमार से इश्क हुआ और इन्होंने साल 1932 में गांधी को बैंगलुरु से खत लिखा था। इस खत में उन्होंने छुआछुत के ख़िलाफ किए जा रहे कामों के बारे में गांधीजी को बताया. दोनों के बीच खतों का सिलसिला शुरू हुआ और अगले बरस फरवरी, 1933 में निला की मुलाकात यरवडा जेल में महात्मा गांधी से हुई थी। बाद में वो एक रोज़ वृंदावन में मिलीं थी और कुछ समय बाद उन्हें अमरीका भेज दिया गया, जहां उन्होंने इस्लाम कबूल लिया और कुरान का अनुवाद भी किया।
यह भी पढ़ें- ‘भारत रत्न’ लाल बहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य आज भी क्यों है कायम?
सरला चौधरानी (1872-1945)
उच्च शिक्षा और सौम्य नजर आने वाली सरला देवी की भाषाओं, सगीत और लेखन में काफी रूचि थी। सरला रविंद्रनाथ टैगोर की भतीजी भी थी और लाहौर में गांधी सरला के घर पर ही रुके थे। ये वैसा दौर था, जब सरला के स्वतंत्रता सेनानी पति रामभुज दत्त चौधरी जेल में सजा काट रहे थे। Mahatma Gandhiसरला को अपनी आध्यात्मिक पत्नी बताते थे और बाद के दिनों में गांधी ने भी ये माना कि इस रिश्ते के कारण उनकी शादी टूटते-टूटते बची। गांधी और सरला ने खादी के प्रचार के लिए भारत दौरा किया था। और दोनों के रिश्तों की खबर गांधी के करीबियों को भी हो गई। कुछ समय बाद हिमालय में एकांतवास करते हुए सरला की मौत हो गई थी।
सरोजिनी नायडू (1879-1949)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष सरोजिनी नायडू हैं। गांधी की गिरफ्तारी के बाद नमक सत्याग्राह की अगुवाई सरोजिनी नायडू ने की थी। सरोजिनी और गांधी की पहली मुलाकात लंदन में हुई और इसके बाद सरोजिनी ने उसे कुछ इस तरह बताया था, ‘एक छोटे कद का आदमी, जिसके सिर पर बाल नहीं थे। ज़मीन पर कंबल ओढ़े ये आदमी जैतून तेल से सने हुए टमाटर खाने वाले थे। दुनिया के मशहूर नेता को यूं देखकर मैं खुशी से हंसने लगी, तभी वो अपनी आंख उठाकर मुझसे पूछते हैं।’ दुनिया में इनकी कविताओं को खूब पसंद किया गया।
राजकुमारी अमृत कौर (1889-1964)
शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली राजकुमारी पंजाब के कपूरथला के राजा सर हरनाम सिंह की बेटी थी। इनकी पढ़ाई लंदन में हुई थी और उस दौरान ही इनकी मुलाकात गांधी जी से हुई थी। इन्हें गांधी जी की सबसे करीबी सत्याग्रहियों में गिना जाता था और इसके बदले में सम्मान और जुड़ाव रखने लगी थीं। नमक सत्याग्रह और साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में वे जेल भी गई थीं और आजाद भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री भी बनी थीं। गांधी राजकुमारी अमृत कौर को लिखे खत की शुरुआत कुछ इस तरह होती थी, ‘मेरी प्यारी पगली और बागी।’
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जन्मदिन विशेष :भारत के बंटवारे के समय Mahatma Gandhi का हो गया था ऐसा हाल