Yash Chopra Biography– भारतीय सिनेमा की शुरआत साल 1913 में दादा साहेब फाल्के द्वारा हुई और इसके बाद धीरे-धीरे भारत की अलग-अलग भाषाओं में फिल्में बनने लगीं। मगर हिंदी फिल्में यानी बॉलीवुड का विकास सबसे पहले और तेजी से हुआ। फिल्म इंडस्ट्री को बने 100 साल से ज्यादा का समय हो गया है और इन सालों में ना जाने कितने सितारों ने अपनी छाप छोड़ी। उन्हीं में से एक Yash Chopra थे, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में रोमांस के तरीके को ही बदल दिया और पर्दे पर लोगों ने इस सीन को परिवार के साथ देखना शुरु कर दिया।
यश चोपड़ा की जीवनी | Yash Chopra Biography
27 सितंबर, 1932 ब्रिटिश भारत के लाहौर (अब पाकिस्तान में) में जन्में यश चोपड़ा ने हिंदी सिनेमा का रुख ही बदल दिया। शशि कपूर, दिलीप कुमार, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन , ऋषि कपूर और शाहरुख खान को यश चोपड़ा अपनी ज्यादातर फिल्मों में लेते थे। यश चोपड़ा के फेवरेट दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान रहे हैं और इनको लेकर यश चोपड़ा ने कई फिल्में निर्देशित की हैं। यश चोपड़ा की फिल्मों में रोमांटिक सीन बहुत ही दिलचस्प हुआ करते थे और वे अपनी हीरोइनों को शिफॉन की साड़ी के साथ बारिश में भिगवाते जरूर थे। उनके लिए खूबसूरत लड़की का मतलब तभी होता था जब वो शिफॉन के लिबाज़ हो और इसी लिबाज़ में वो अपने प्रेमी के करीब जाए। खैर….यश चोपड़ा के बारे में एक नहीं कई किस्से हैं चलिए Rochak Safar में आपको Yash Chopra Biography इसके बारे में बताते हैं…
यश चोपड़ा की पत्नी, उनके बेटे आदित्य और उदय चोपड़ा. | फोटो साभार: FilmiBeat
1. यश चोपड़ा के पिता लाल विलायती राज चोपड़ा ब्रिटिश पंजाब एडमिनिस्ट्रेशन के PWD अकाउंटेंट थे और पूरे परिवार के साथ जालंधर में रहते थे।
2. यश चोपड़ा 8 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। इनके सबसे बड़े भाई बी.आर. चोपड़ा इनसे 18 साल बडे़ थे और वे हिंदी सिनेमा के पॉपुलर फिल्म मेकर थे।
3. Yash Chopra की शुरुआती पढ़ाई से ग्रेजुएशन जब जालंधर से हुआ लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई इन्होंने लुधियाना से की थी। चोपड़ा और जौहर का रिश्ता इनके भाई बी.आर.चोपड़ा और करण जौहर के दादा आई.एस जौहर से चला आ रहा है।
4. यश चोपड़ा के घरवाले उन्हें एक बड़ी कंपनी में जॉब करते देखना चाहते थे लेकिन उनका मन भाई के साथ फिल्मों में लगता था। इनके पिता इसके लिए तैयार नहीं थे तो मां ने इन्हें मुंबई इनके भाई बी.आर. चोपड़ा के पास भेज दिया जिससे यश चोपड़ा का सपना पूरा हो सके।
5. हर किसी की तरह इनका सपना भी हीरो बनने का था लेकिन बात नहीं बन पाई और इन्होंने अपने भाई को असिस्ट करना शुरु कर दिया। मगर साल 1959 में इन्होंने फिल्म धूल का फूल से निर्देशन की शुरुआत की हालांकि इस फिल्म को उनके भाई बी.आर. चोपड़ा ने निर्मित किया था।
यश चोपड़ा के बड़े भाई बीआर चोपड़ा | फोटो साभार: DesiMartini
6. यश चोपड़ा ने अपने भाई के प्रोडक्शन में धर्मपुत्र, इत्तेफाक़, वक्त, आदमी और इंसान जैसी फिल्मों का निर्देशन किया। इस दौरान उन्हें एक सफल निर्देशक का खिताब मिल चुका था लेकिन यश जी को कुछ अपना चाहिए था।
7. साल 1971 में आखिरकार यश चोपड़ा ने ‘यशराज फिल्म्स’ के तौर पर अपना प्रोडक्शन हाउस खोला। जिसमें पहली फिल्म दाग़ बनी थी और ये फिल्म सुपरहिट हुई थी। इसमें राजेश खन्ना मुख्य रूप में थे जिन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था।
8. इसके बाद यशराज फिल्म्स में दीवार, त्रिशूल, कभी-कभी, सिलसिला, मशालफासले जैसी फिल्में बनी। फिर दौर आया 90’s का और यश चोपड़ा कई अनुभव पाना चाहते थे।
9. Yash Chopra हमेशा अपने दौर से 5 साल आगे का सिनेमा देखते थे तभी उनकी फिल्मों में चीजें नजर आती थीं खासकर उनके निर्देशन में बनी फिल्में जिनमें वे दो चीज महत्वपूर्ण समझते थे। एक फिल्म का लोकेशन और दूसरा फिल्म की हीरोइन, बाकी फिल्म की कहानी थोड़ी कम भी हो तो चल जाता है।
फिल्म सिलसिले के सेट पर यश चोपड़ा | फोटो साभार: YashRajFilms
10. स्विट्जरलैंड को यश चोपड़ा ने इतने अच्छे से अपनी फिल्मों में दिखाया कि वहां का पर्यटन काफी अच्छा हो गया। बाद में वहां की सरकार ने 25 अक्टूबर, 2010 में यश जी को एंबेसेडर ऑफ इंटरलेकन अवॉर्ड से नवाजा था। इतना ही नहीं उनके नाम से एक सड़क भी वहां है और एक ट्रेन भी चलाई गई थी।
11. यश चोपड़ा के दिमाग में ‘चांदनी’ की स्क्रीप्ट थी और वे इस किरदार को निभाने के लिए एक्ट्रेस की तलाश में थे। मगर उनकी दो फिल्में कभी-कभी और सिलसिला बुरी तरह फ्लॉप होने के कारण कोई उनके साथ काम नहीं करना चाहता था।
12. यश चोपड़ा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उस समय श्रीदेवी ने उनका साथ दिया और बिना फीस मांगे फिल्म में काम करने को तैयार हुईं। फिल्म रिलीज हुई और ब्लॉकबस्टर साबित हुई, इसके बाद श्रीदेवी ने फिल्म लम्हे में भी यश जी के लिए काम किया और वे उनकी फेवरेट एक्ट्रेस बन गई थीं।
13. यश चोपड़ा के दिल के करीब शाहरुख खान थे और वे शाहरुख को अपना बेटा मानते थे। शाहरुख को रोमांस करना यश जी ने सिखाया, इनके निर्देशन में शाहरुख ने डर, दिल तो पागल है, वीर-ज़ारा और जब तक है जान की है।
शाहरुख खान और यश चोपड़ा | फोटो साभार: Man’s World India
14. साल 2012 में यश चोपड़ा ने अपनी मौत से ठीक एक महीने पहले शाहरुख खान को एक इंटरव्यू दिया था। इसमें उन्होने बताया कि फिल्म जब तक है जान के रिलीज के बाद वे रिटायरमेंट लेकर अपना सारा समय परिवार को देंगे। जिस बात पर शाहरुख इमोशनल हो गए थे।
15. यश चोपड़ा को अक्टूबर में डेंगू बीमारी हो गई और 21 अक्टूबर को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया और 13 नवंबर को बेहद शांति के साथ उनकी फिल्म जब तक है जान रिलीज की गई थी।
16. यश चोपड़ा के निधन पर पूरा बॉलीवुड गमगीन हो गया था और रोमांस का किंग कहे जाने वाले यश चोपड़ा के निधन पर हर कोई रोया था। खासकर शाहरुख खान को इसका बहुत बड़ा धक्का लगा था और उन्होंने मीडिया में ये कहा था कि उन्होंने एक बार फिर अपने पिता को खो दिया।
17. साल 2001 में यश चोपड़ा को भारत के सर्वोच्च सिनेमा सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था। इसके बाद साल 2005 में पद्मभूषण अवॉर्ड मिला था।
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Yash Chopra Biography– भारतीय सिनेमा की शुरआत साल 1913 में दादा साहेब फाल्के द्वारा हुई और इसके बाद धीरे-धीरे भारत की अलग-अलग भाषाओं में फिल्में बनने लगीं। मगर हिंदी फिल्में यानी बॉलीवुड का विकास सबसे पहले और तेजी से हुआ। फिल्म इंडस्ट्री को बने 100 साल से ज्यादा का समय हो गया है और इन सालों में ना जाने कितने सितारों ने अपनी छाप छोड़ी। उन्हीं में से एक Yash Chopra थे, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में रोमांस के तरीके को ही बदल दिया और पर्दे पर लोगों ने इस सीन को परिवार के साथ देखना शुरु कर दिया।
यश चोपड़ा की जीवनी | Yash Chopra Biography
27 सितंबर, 1932 ब्रिटिश भारत के लाहौर (अब पाकिस्तान में) में जन्में यश चोपड़ा ने हिंदी सिनेमा का रुख ही बदल दिया। शशि कपूर, दिलीप कुमार, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन , ऋषि कपूर और शाहरुख खान को यश चोपड़ा अपनी ज्यादातर फिल्मों में लेते थे। यश चोपड़ा के फेवरेट दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान रहे हैं और इनको लेकर यश चोपड़ा ने कई फिल्में निर्देशित की हैं। यश चोपड़ा की फिल्मों में रोमांटिक सीन बहुत ही दिलचस्प हुआ करते थे और वे अपनी हीरोइनों को शिफॉन की साड़ी के साथ बारिश में भिगवाते जरूर थे। उनके लिए खूबसूरत लड़की का मतलब तभी होता था जब वो शिफॉन के लिबाज़ हो और इसी लिबाज़ में वो अपने प्रेमी के करीब जाए। खैर….यश चोपड़ा के बारे में एक नहीं कई किस्से हैं चलिए Rochak Safar में आपको Yash Chopra Biography इसके बारे में बताते हैं…
यश चोपड़ा की पत्नी, उनके बेटे आदित्य और उदय चोपड़ा. | फोटो साभार: FilmiBeat
1. यश चोपड़ा के पिता लाल विलायती राज चोपड़ा ब्रिटिश पंजाब एडमिनिस्ट्रेशन के PWD अकाउंटेंट थे और पूरे परिवार के साथ जालंधर में रहते थे।
2. यश चोपड़ा 8 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। इनके सबसे बड़े भाई बी.आर. चोपड़ा इनसे 18 साल बडे़ थे और वे हिंदी सिनेमा के पॉपुलर फिल्म मेकर थे।
3. Yash Chopra की शुरुआती पढ़ाई से ग्रेजुएशन जब जालंधर से हुआ लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई इन्होंने लुधियाना से की थी। चोपड़ा और जौहर का रिश्ता इनके भाई बी.आर.चोपड़ा और करण जौहर के दादा आई.एस जौहर से चला आ रहा है।
4. यश चोपड़ा के घरवाले उन्हें एक बड़ी कंपनी में जॉब करते देखना चाहते थे लेकिन उनका मन भाई के साथ फिल्मों में लगता था। इनके पिता इसके लिए तैयार नहीं थे तो मां ने इन्हें मुंबई इनके भाई बी.आर. चोपड़ा के पास भेज दिया जिससे यश चोपड़ा का सपना पूरा हो सके।
5. हर किसी की तरह इनका सपना भी हीरो बनने का था लेकिन बात नहीं बन पाई और इन्होंने अपने भाई को असिस्ट करना शुरु कर दिया। मगर साल 1959 में इन्होंने फिल्म धूल का फूल से निर्देशन की शुरुआत की हालांकि इस फिल्म को उनके भाई बी.आर. चोपड़ा ने निर्मित किया था।
यश चोपड़ा के बड़े भाई बीआर चोपड़ा | फोटो साभार: DesiMartini
6. यश चोपड़ा ने अपने भाई के प्रोडक्शन में धर्मपुत्र, इत्तेफाक़, वक्त, आदमी और इंसान जैसी फिल्मों का निर्देशन किया। इस दौरान उन्हें एक सफल निर्देशक का खिताब मिल चुका था लेकिन यश जी को कुछ अपना चाहिए था।
7. साल 1971 में आखिरकार यश चोपड़ा ने ‘यशराज फिल्म्स’ के तौर पर अपना प्रोडक्शन हाउस खोला। जिसमें पहली फिल्म दाग़ बनी थी और ये फिल्म सुपरहिट हुई थी। इसमें राजेश खन्ना मुख्य रूप में थे जिन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था।
8. इसके बाद यशराज फिल्म्स में दीवार, त्रिशूल, कभी-कभी, सिलसिला, मशालफासले जैसी फिल्में बनी। फिर दौर आया 90’s का और यश चोपड़ा कई अनुभव पाना चाहते थे।
9. Yash Chopra हमेशा अपने दौर से 5 साल आगे का सिनेमा देखते थे तभी उनकी फिल्मों में चीजें नजर आती थीं खासकर उनके निर्देशन में बनी फिल्में जिनमें वे दो चीज महत्वपूर्ण समझते थे। एक फिल्म का लोकेशन और दूसरा फिल्म की हीरोइन, बाकी फिल्म की कहानी थोड़ी कम भी हो तो चल जाता है।
फिल्म सिलसिले के सेट पर यश चोपड़ा | फोटो साभार: YashRajFilms
10. स्विट्जरलैंड को यश चोपड़ा ने इतने अच्छे से अपनी फिल्मों में दिखाया कि वहां का पर्यटन काफी अच्छा हो गया। बाद में वहां की सरकार ने 25 अक्टूबर, 2010 में यश जी को एंबेसेडर ऑफ इंटरलेकन अवॉर्ड से नवाजा था। इतना ही नहीं उनके नाम से एक सड़क भी वहां है और एक ट्रेन भी चलाई गई थी।
11. यश चोपड़ा के दिमाग में ‘चांदनी’ की स्क्रीप्ट थी और वे इस किरदार को निभाने के लिए एक्ट्रेस की तलाश में थे। मगर उनकी दो फिल्में कभी-कभी और सिलसिला बुरी तरह फ्लॉप होने के कारण कोई उनके साथ काम नहीं करना चाहता था।
12. यश चोपड़ा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उस समय श्रीदेवी ने उनका साथ दिया और बिना फीस मांगे फिल्म में काम करने को तैयार हुईं। फिल्म रिलीज हुई और ब्लॉकबस्टर साबित हुई, इसके बाद श्रीदेवी ने फिल्म लम्हे में भी यश जी के लिए काम किया और वे उनकी फेवरेट एक्ट्रेस बन गई थीं।
13. यश चोपड़ा के दिल के करीब शाहरुख खान थे और वे शाहरुख को अपना बेटा मानते थे। शाहरुख को रोमांस करना यश जी ने सिखाया, इनके निर्देशन में शाहरुख ने डर, दिल तो पागल है, वीर-ज़ारा और जब तक है जान की है।
शाहरुख खान और यश चोपड़ा | फोटो साभार: Man’s World India
14. साल 2012 में यश चोपड़ा ने अपनी मौत से ठीक एक महीने पहले शाहरुख खान को एक इंटरव्यू दिया था। इसमें उन्होने बताया कि फिल्म जब तक है जान के रिलीज के बाद वे रिटायरमेंट लेकर अपना सारा समय परिवार को देंगे। जिस बात पर शाहरुख इमोशनल हो गए थे।
15. यश चोपड़ा को अक्टूबर में डेंगू बीमारी हो गई और 21 अक्टूबर को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया और 13 नवंबर को बेहद शांति के साथ उनकी फिल्म जब तक है जान रिलीज की गई थी।
16. यश चोपड़ा के निधन पर पूरा बॉलीवुड गमगीन हो गया था और रोमांस का किंग कहे जाने वाले यश चोपड़ा के निधन पर हर कोई रोया था। खासकर शाहरुख खान को इसका बहुत बड़ा धक्का लगा था और उन्होंने मीडिया में ये कहा था कि उन्होंने एक बार फिर अपने पिता को खो दिया।
17. साल 2001 में यश चोपड़ा को भारत के सर्वोच्च सिनेमा सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था। इसके बाद साल 2005 में पद्मभूषण अवॉर्ड मिला था।
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