हर इंसान की प्राथमिक जरूरत पैसा है, इसके बिना कोई कहीं भी एक कदम नहीं जा सकता। आज का समय ऐसा हो गया है कि कितना पैसा है उसी आधार पर लोगों का व्यक्तित्व जांचा जाता है। ऐसे में हर इंसान सोचता है कि काश मेरे पास पैसों का पेड़ होता क्योंकि यहां मेहनत ज्यादा और पैसों के नाम पर मासिक वेतन बहुत कम होता है। जीवन को अच्छे से बिताने के लिए अच्छे पैसों का होना जरूरी है और यही पैसा है जो लोगों को क्राइम करने पर भी मजबूर कर देता है। इन सबके बीच क्या आपको पता है कि रुपयों को छापने में भी पैसे लगाए जाते हैं और Indian Currency Printing होती कहा हैं?
भारत में यहां होती है रुपयों की छपाई | Indian Currency Printing
हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को अच्छे से गुजारने के लिए पैसों की जरूरत होती है और ये हर किसी के लिए बहुत अहम होता है। इसके बारे में हर किसी को अच्छे से पता होना चाहिए और ये भी आपको पता होना चाहिए कि हर देश की करेंसी अलग-अलग होती है लेकिन भारतीय मुद्रा (Indian Currency) को रुपया कहते हैं। भारत में करेंसी के रूप में नोट और सिक्के चलते हैं जिनमें 1 रुपये, 2 रुपये, 5 रुपये और 10 रुपये के सिक्के उपलब्ध हैं तो वहीं नोटों में 5 रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये के नोट उपलब्ध होते हैं।
Indian Currency Printing
इन्हें बाजार में क्रय-विक्रय के लिए लोग उपयोग में लाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारी जिंदगी का जो अहम हिस्सा है उनकी छपाई कहां होती है (Indian Currency Printing) और ये कैसे बनाए जाते हैं? इस लेख में हम आपको उन जानकारियों के बारे में बताएंगे जो हमने कुछ रिसर्च और कुछ विश्वासनीय रिपोर्ट्स के आधार पर एकत्रित की हैं।
1. नासिक, सालबोनी, मैसूर और मध्य प्रदेश के देवास में नोटों की छपाई होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हीं जगहों पर बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर मिल है। जबकि भारतीय सिक्के इंडियन गर्वमेंट द्वारा छापे जाते हैं जिनकी शाखाएं मुंबई, नोएडा, कोलकाता और हैदराबाद में स्थित हैं।
2. साल 1862 में ब्रिटिश सरकार ने यूके की एक कंपनी द्वारा पहला भारतीय नोट छपवाया था। साल 1920 तक ब्रिटिश सरकार ही भारत के नोट ब्रिटेन में छपवाती थी लेकिन साल 1926 में ब्रिटिश सरकार ने 1000 और 10 हजार के नोट भी छापने शुरु कर दिये थे।
3. साल 1947 में भारत की आजादी के बाद सबसे पहले नासिक में नोटों की छपाई शुरु हुई और इसके बाद साल 1975 में भारत की दूसरी प्रिटिंग प्रेस मध्य प्रदेश के देवास में खोली गई लेकिन ऐसा मानना है कि आबादी के अनुसार दो और प्रिंटिंग प्रेस होनी चाहिए।
4. साल 1997 में पहली बार भारतीय सरकार ने बढ़ती आबादी के कारण अमेरिका, कनाडा और यूरोप से भी नोट मंगवाने शुरु कर दिए थे। इसके बाद साल 1999 में मैसूर और साल 2000 में पश्चिम बंगाल के सलबोनी में प्रिंटिंग प्रेस खोली गई और अब इन्हीं जगहों पर भारतीय नोटों की छपाई की जाती है।
5. भारत की चार प्रिंटिंग प्रेस में दो देवास की बैंक नोट प्रेस और नासिक की बैंक नोट प्रेस भारतीय वित्त मंत्रालय के नेतृत्व वाली सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के अंतर्गत आती है। जबकि मैसूर और सलबोनी की प्रेस नोट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सब्सिडियरी कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड में आती है।
6. भारतीय नोटों में लगने वाली स्याही को स्पेशली स्विटजरलैंड की कंपनी Sicpa से आयात किया जाता है और आपको बता दें कि कंपनी भारत के अलावा कई दूसरे बड़े देशों को स्याही एक्सपोर्ट कराया जाता है।
7. भारतीय नोट जिस कागज से बनते हैं उनमें से अधिकांश कागज भारत में नहीं बनते हैं ऐसा इसिलए क्योंकि भरत की केवर एक ही पेपल मिल होशंगाबाद में है। भारतीय नोटों और स्टंप के लिए पेपर यहीं से बनते हैं और इसके अलावा भारतीय करेंसी के लिए ज्यादातर कागज मर्नी, यूके और जापान से मंगाया जाता है।
Indian Currency Printing
8. आरटीआई के मुताबिक, हर नोट को बनाने में अलग-अलग लागत लगती है जैसे 5 रुपये के नोट को बनाने में 50 पैसे का खर्च और 10 रुपये के बनाने में 0.96 पैसे का खर्च आता है। नोट तैयार होने के बाद इन नोटों को रिजर्व बैंक की देश में मौजूद 18 इश्यू ऑफिस में भेजा जाता है।
9. भारत में इन इश्यू के लिए ऑफिस अहमदाबाद, हैदराबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकत्ता, मुंबई, नागपुर, दिल्ली, पटना, गुवाहाटी, चेन्नी, बेलापुर, भोपाल, तिरुपवंनतपुरम में स्थित है।
10. कई बार भारतीय नोट कहां छपते हैं इसे लेकर गलत पोस्ट और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं जिसके कारण लोगों को इन बातों के बारे में सही से पता नहीं हो पाता और ऐसा कई सर्वे में सामने आया है।
यह भी पढ़ें- ‘प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत’ अभियान योजना की पूरी जानकारी
हर इंसान की प्राथमिक जरूरत पैसा है, इसके बिना कोई कहीं भी एक कदम नहीं जा सकता। आज का समय ऐसा हो गया है कि कितना पैसा है उसी आधार पर लोगों का व्यक्तित्व जांचा जाता है। ऐसे में हर इंसान सोचता है कि काश मेरे पास पैसों का पेड़ होता क्योंकि यहां मेहनत ज्यादा और पैसों के नाम पर मासिक वेतन बहुत कम होता है। जीवन को अच्छे से बिताने के लिए अच्छे पैसों का होना जरूरी है और यही पैसा है जो लोगों को क्राइम करने पर भी मजबूर कर देता है। इन सबके बीच क्या आपको पता है कि रुपयों को छापने में भी पैसे लगाए जाते हैं और Indian Currency Printing होती कहा हैं?
भारत में यहां होती है रुपयों की छपाई | Indian Currency Printing
हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को अच्छे से गुजारने के लिए पैसों की जरूरत होती है और ये हर किसी के लिए बहुत अहम होता है। इसके बारे में हर किसी को अच्छे से पता होना चाहिए और ये भी आपको पता होना चाहिए कि हर देश की करेंसी अलग-अलग होती है लेकिन भारतीय मुद्रा (Indian Currency) को रुपया कहते हैं। भारत में करेंसी के रूप में नोट और सिक्के चलते हैं जिनमें 1 रुपये, 2 रुपये, 5 रुपये और 10 रुपये के सिक्के उपलब्ध हैं तो वहीं नोटों में 5 रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये के नोट उपलब्ध होते हैं।
Indian Currency Printing
इन्हें बाजार में क्रय-विक्रय के लिए लोग उपयोग में लाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारी जिंदगी का जो अहम हिस्सा है उनकी छपाई कहां होती है (Indian Currency Printing) और ये कैसे बनाए जाते हैं? इस लेख में हम आपको उन जानकारियों के बारे में बताएंगे जो हमने कुछ रिसर्च और कुछ विश्वासनीय रिपोर्ट्स के आधार पर एकत्रित की हैं।
1. नासिक, सालबोनी, मैसूर और मध्य प्रदेश के देवास में नोटों की छपाई होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हीं जगहों पर बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर मिल है। जबकि भारतीय सिक्के इंडियन गर्वमेंट द्वारा छापे जाते हैं जिनकी शाखाएं मुंबई, नोएडा, कोलकाता और हैदराबाद में स्थित हैं।
2. साल 1862 में ब्रिटिश सरकार ने यूके की एक कंपनी द्वारा पहला भारतीय नोट छपवाया था। साल 1920 तक ब्रिटिश सरकार ही भारत के नोट ब्रिटेन में छपवाती थी लेकिन साल 1926 में ब्रिटिश सरकार ने 1000 और 10 हजार के नोट भी छापने शुरु कर दिये थे।
3. साल 1947 में भारत की आजादी के बाद सबसे पहले नासिक में नोटों की छपाई शुरु हुई और इसके बाद साल 1975 में भारत की दूसरी प्रिटिंग प्रेस मध्य प्रदेश के देवास में खोली गई लेकिन ऐसा मानना है कि आबादी के अनुसार दो और प्रिंटिंग प्रेस होनी चाहिए।
4. साल 1997 में पहली बार भारतीय सरकार ने बढ़ती आबादी के कारण अमेरिका, कनाडा और यूरोप से भी नोट मंगवाने शुरु कर दिए थे। इसके बाद साल 1999 में मैसूर और साल 2000 में पश्चिम बंगाल के सलबोनी में प्रिंटिंग प्रेस खोली गई और अब इन्हीं जगहों पर भारतीय नोटों की छपाई की जाती है।
5. भारत की चार प्रिंटिंग प्रेस में दो देवास की बैंक नोट प्रेस और नासिक की बैंक नोट प्रेस भारतीय वित्त मंत्रालय के नेतृत्व वाली सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के अंतर्गत आती है। जबकि मैसूर और सलबोनी की प्रेस नोट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सब्सिडियरी कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड में आती है।
6. भारतीय नोटों में लगने वाली स्याही को स्पेशली स्विटजरलैंड की कंपनी Sicpa से आयात किया जाता है और आपको बता दें कि कंपनी भारत के अलावा कई दूसरे बड़े देशों को स्याही एक्सपोर्ट कराया जाता है।
7. भारतीय नोट जिस कागज से बनते हैं उनमें से अधिकांश कागज भारत में नहीं बनते हैं ऐसा इसिलए क्योंकि भरत की केवर एक ही पेपल मिल होशंगाबाद में है। भारतीय नोटों और स्टंप के लिए पेपर यहीं से बनते हैं और इसके अलावा भारतीय करेंसी के लिए ज्यादातर कागज मर्नी, यूके और जापान से मंगाया जाता है।
Indian Currency Printing
8. आरटीआई के मुताबिक, हर नोट को बनाने में अलग-अलग लागत लगती है जैसे 5 रुपये के नोट को बनाने में 50 पैसे का खर्च और 10 रुपये के बनाने में 0.96 पैसे का खर्च आता है। नोट तैयार होने के बाद इन नोटों को रिजर्व बैंक की देश में मौजूद 18 इश्यू ऑफिस में भेजा जाता है।
9. भारत में इन इश्यू के लिए ऑफिस अहमदाबाद, हैदराबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकत्ता, मुंबई, नागपुर, दिल्ली, पटना, गुवाहाटी, चेन्नी, बेलापुर, भोपाल, तिरुपवंनतपुरम में स्थित है।
10. कई बार भारतीय नोट कहां छपते हैं इसे लेकर गलत पोस्ट और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं जिसके कारण लोगों को इन बातों के बारे में सही से पता नहीं हो पाता और ऐसा कई सर्वे में सामने आया है।
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