वैसे तो हर किसी की जिंदगी में कभी खुशी कभी गम का समय बना रहता है लेकिन कुछ लोगों के जीवन में अच्छाई करने के बाद भी खुशी नहीं टिकती है। कुछ ऐसा ही बॉलीवुड अभिनेता सुनील दत्त के साथ भी रहा, उन्होंने अपने जीवन में सबकुछ पाया फिर भी कोई कमी उनके जीवन में हमेशा रही। सुनील दत्त ने जिससे प्यार किया उससे शादी की लेकिन कम समय में वो भी साथ छोड़ गई, फिर एक बेटा रहा जिसे सही रास्ते पर लाते-लाते उनकी आधे से ज्यादा जिंदगी बीत गई। आज अगर वे जिंदा होते तो अपना 91वां जन्मदिन मनाते लेकिन 75 वर्ष की आयु में उनका जीवन समाप्त हो गया। यहां हम आपको Sunil Dutt Biography in Hindi में उनके जीवन के कुछ उतार-चढ़ाव के बारे में बताएंगे।
सुनील दत्त का प्रारंभिक जीवन | Sunil Dutt Biography in Hindi
Sunil Dutt
6 जून, 1929 को सुनील दत्त का जन्म ब्रिटिश भारत के पंजाब राज्य के झेलम जिले के खुर्दी गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। देश के बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया और सुनील ने मुंबई के जय हिंद कॉलेज से अपनी पढ़ाई की। सुनील दत्त एक पंजाबी खानदान से थे और इनके पिता रघुनाथ दत्त आर्मी ऑफिसर थे। इसके साथ ही वे अपने गांव के जमींदार भी थे, उनके खानदान को गांव वाले दीवान बुलाते थे।
मगर बंटवारे के बाद उनकी जमीन पाकिस्तान में चली गई लेकिन हरियाणा में उन्हें थोड़ी जमीन मिल गई। इससे उनके पिता ने अपने तीन बच्चों और पत्नी के साथ गुजर बसर शुरु की। सुनील दत्त मुंबई आ गए, क्योंकि यहां पर एक रिफ्यूजी कॉलेज (अब जय हिंद कॉलेज) चलता था। जहां पर सुबह 7 से 10 वे कॉलेज जाते और फिर बीएसटी में 11 से रात 11 बजे तक सुपरवाइजर की नौकरी करते थे, जहां उन्हें 100 रुपये सैलरी मिलती थी।
सुनील दत्त का करियर | Sunil Dutt Career
Sunil Dutt in Padosan
सुनील दत्त को रेडियो सीलोन पर रेडियो जॉकी के तौर पर काम मिल गया। ये दक्षिणी एशिया का सबसे पुराना रेडियो स्टेशन है। उस दौरान वे अक्सर किसी ना किसी फिल्म स्टार का इंटरव्यू लिया करते थे। एक बार उन्हें दिलीप कुमार का इंटरव्यू लेने के लिए फिल्म के सेट पर गए तभी फिल्म निर्देशक रमेश सहगल की नजर सुनील दत्त पर पड़ी।
उस समय दिलीप कुमार सेट पर मौजूद नहीं थे, तो उनका स्क्रीन टेस्ट हो गया लेकिन सुनील को लगा कि सब बहुत बुरा बोलेंगे तो वे शॉट देकर अपने कॉलेज भाग आए। इसके दो महीने के बाद निर्देशक ने फिर सुनील दत्त के कॉन्टैक्ट किया। फिर उन्होंने सुनील दत्त को फिल्म ऑफर की और पढ़ाई छोड़ने को कहा लेकिन सुनील दत्त ने अपनी मां से ग्रेजुएट होने का वादा किया था तो उस समय वे फिल्म नहीं कर पाए।
फिर कॉलेज खत्म करने के बाद वे सहगल साहब से मिले और फिल्म रेलवे प्लेटफॉर्म की शूटिंग शुरु की। साल 1955 में ये फिल्म रिलीज हुई मगर फिल्म खास नहीं चली। इसके बाद इनकी फिल्म मदर इंडिया आई इसमें उनके अलावा नरगिस और राजेंद्र कुमार मुख्य किरदार में थे। फिल्म सुपरहिट हुई और इस फिल्म का नाम ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था। सुनील दत्त ने एक्टर, प्रोड्यूसर और निर्देशक के तौर पर नागिन, पड़ोसन, हमराज, रॉकी, खानदान, मुकाबला, वक्त, मिलन, यादें, मेरा साया, गुमराह, साधना, शान, हीरा, बदले की आग, रेशमा और शेरा, वतन के रखवाले, मेहरबान, जख्मी, बेटी बेटे, यारी दुश्मनी, पापी, मैं चुप रहूंगी जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया।
साल 1984 में सुनील दत्त को कांग्रेस पार्टी के टिकट पर मुंबई उत्तर पश्चिम लोक सभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिला जिसमें उन्हें जीत मिली और वे सांसद बन गए। यहां से वे 5 बार चुनाव जीते और मनमोहन सिंह सरकार में साल 2004-05 तक वे खेल एंव युवा मामलों के कैबिनेट मंत्री भी रहे। साल 1968 में भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया था।
सुनील दत्त और नरगिस की लव स्टोरी | Sunil Dutt and Nargis love story
Sunil Dutt with Nargis
बतौर रेडियो जॉकी सुनील दत्त फिल्मों में आने के बारे में सोचते भी नहीं थे। वे फिल्मी सितारों का इंटरव्यू लेते थे और उनकी सबसे पसंदीदा अभिनेत्री नरगिस हुआ करती थीं। उस समय नरगिस काफी लोकप्रिय एक्ट्रेस बन गई थीं और उनका अफेयर राज कपूर के साथ चल रहा था। एक बार सुनील दत्त को नरगिस का इंटरव्यू लेने का काम सौंपा गया, ये बात सुनकर सुनील के हाथ-पांव कांपने लगे। इंटरव्यू के दौरान नरगिस को देखते ही वे काफी नर्वस हो गए और उनसे एक भी सवाल नहीं पूछ पाए। नरगिस तो चली गईं और उनकी नौकरी खतरे में पड़ गई थी। दूसरी बार नरगिस की उनसे मुलाकात बिमल रॉय की फिल्म दो बीघा जमीन के सेट पर हुई, जहां नरगिस फिल्म निर्देशक से मिलने आईं थीं और सुनील दत्त काम की तलाश में आए थे। सुनील को देखकर नरगिस उनके पिछली मुलाकात को याद करते हुए मुस्कुराकर आगे बढ़कर गईं।
Set of Mother India
फिर महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया में सुनील दत्त को नरगिस के बेटे का किरदार मिल गया। पहले तो उन्होंने ये करने से मना कर दिया मगर उन्हें काम की जरूरत थी इसलिए फिल्म करनी पड़ी। शूटिंग के दौरान सुनील नरगिस के सामने एक्टिंग नहीं कर पाते थे वे काफी नर्वस हो जाते थे लेकिन फिर नरगिस ने उनकी सहजता से काम करने में मदद की। नरगिस के इस व्यवहार के बाद से सुनील उनसे प्यार करने लगे लेकिन कभी कह नहीं पाते थे क्योंकि वे जानते थे कि नरगिस राज कपूर से प्यार करती हैं। मगर वो दौर कुछ ऐसा था कि नरगिस और राज कपूर के बीच कड़वाहट आ गई थी, दरअसल नरगिस राज कपूर से शादी करना चाहती थीं लेकिन वे पहले से शादीशुदा थे।
उनके 5 बच्चे (रणधीर कपूर, रितू कपूर, रीमा कपूर, राजीव कपूर और ऋषि कपूर) थे इसलिए वे अपनी पत्नी को तलाक नहीं दे सकते थे। उनका प्यार सच्चा था लेकिन नरगिस ने अपने कदम पीछे कर लिए और काफी परेशान रहने लगी थीं। फिल्म मदर इंडिया के सेट पर भी वे अक्सर उदास रहती थीं, मगर फिर इसी फिल्म के सेट पर ऐसा वाक्या हुआ कि उनके दिल में सुनील दत्त ने जगह ले ली।
Injured Sunil Dutt with Nargis
फिल्म के एक सीन में गांव में आग लग जाती है और इस सीन की शूटिंग गुजरात के बिलिमोर गांव में हो रही थी। उसी दौरान आग लगाई गई मगर वो आग इतनी फैल गई कि बेकाबू हो गई और नरगिस आग के बीच घिर गईं। मदद के लिए वे चिल्ला रही थीं लेकिन कोई आग में कूदने की हिम्मत नहीं दिखा पाया मगर सुनील दत्त ने बिना कुछ सोचे समझे आग में छलांग लगा दी। उन्होंने नरगिस को तो बचा लिया लेकिन खुद काफी जल गए। वे इतने जल गए थे कि बेहोश होने लगे, जल्दी से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। उस दौरान नरगिस के दिल में सुनील के लिए सॉफ्ट कॉर्नर आया और हर दिन वे अस्पताल जाकर उनकी देखभाल करती थीं। फिल्म पूरी होने के बाद से सुनील के दिल में नरगिस के लिए प्यार बढ़ता चला गया और उन्होंने दिल के आगे मजबूर होकर उन्हें प्रपोज कर दिया। उस समय नरगिस का ब्रेकअप हुआ था और वे अकेली थीं तो उन्होंने उस प्रपोजर को स्वीकार कर लिया। इसके बाद साल 1958 में दोनों ने शादी कर ली, एक साल बाद इन्हें बेटा हुआ जिनका नाम संजय दत्त है। इनके अलावा इन्हें दो बेटियां प्रिया और नम्रता हुईँ, ये दोनों संजय से छोटी हैं।
सबकुछ मिलकर भी सुनील दत्त को रही कमी
Sunil Dutt with family
शादी के 23 सालों के बाद नरगिस ने सुनील दत्त का साथ छोड़ दिया था क्योंकि कैंसर होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी। सुनील दत्त नरगिस से बहुत प्यार करते थे लेकिन एक समय ऐसा आया जब उन्होंने खुद डॉक्टर से नरगिस को मारने के लिए कहा। दरअसल कैंसर के दौरान नरगिस के शरीर में काफी दर्द रहता था और वे अक्सर सुनील दत्त से उन्हें जीवन से मुक्त करने की गुजारिश करती थीं लेकिन सुनील दत्त अमेरिका में रहते हुए उनका इलाज कराने में लगे थे। वे किसी भी कीमत में नरगिस को खोना नहीं चाहते थे लेकिन नरगिस का पूरा शरीर लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर चल रहा था। डॉक्टर्स भी सुनील को सलाह देते थे कि अब नरगिस को लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटा दें लेकिन सुनील नहीं मानते थे। मगर 3 जून, 1981 को नरगिस ने हिम्मत खो दी और उनकी मृत्यु हो गई।
उसी दौरान उनका बेटा ड्रग्स की लत में फंसा था, पत्नी की मृत्यु से सुनील दत्त टूट गए थे लेकिन खुद को संभालते हुए उन्होने बेटे को ड्रग्स की लत से बाहर निकाला मगर फिर संजय पर AK-47 रखने का आरोप लग गया। इस तरह कई साल उन्होंने अपने बेटे को बेकसूर साबित करने में लगा दिए और जब सब ठीक हुआ तो 25 मई, 2005 को उनका निधन हो गया। बेटे के साथ उन्होंने आखिरी फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस की और फिल्म में दिखाए गए एक सीन में जब वे संजय दत्त को पकड़कर रोते हैं। उस समय दोनों बाप-बेटे हकीकत में खूब रोए थे, इस बात का जिक्र संजू की बायोपिक फिल्म में हुआ है।
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वैसे तो हर किसी की जिंदगी में कभी खुशी कभी गम का समय बना रहता है लेकिन कुछ लोगों के जीवन में अच्छाई करने के बाद भी खुशी नहीं टिकती है। कुछ ऐसा ही बॉलीवुड अभिनेता सुनील दत्त के साथ भी रहा, उन्होंने अपने जीवन में सबकुछ पाया फिर भी कोई कमी उनके जीवन में हमेशा रही। सुनील दत्त ने जिससे प्यार किया उससे शादी की लेकिन कम समय में वो भी साथ छोड़ गई, फिर एक बेटा रहा जिसे सही रास्ते पर लाते-लाते उनकी आधे से ज्यादा जिंदगी बीत गई। आज अगर वे जिंदा होते तो अपना 91वां जन्मदिन मनाते लेकिन 75 वर्ष की आयु में उनका जीवन समाप्त हो गया। यहां हम आपको Sunil Dutt Biography in Hindi में उनके जीवन के कुछ उतार-चढ़ाव के बारे में बताएंगे।
सुनील दत्त का प्रारंभिक जीवन | Sunil Dutt Biography in Hindi
Sunil Dutt
6 जून, 1929 को सुनील दत्त का जन्म ब्रिटिश भारत के पंजाब राज्य के झेलम जिले के खुर्दी गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। देश के बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया और सुनील ने मुंबई के जय हिंद कॉलेज से अपनी पढ़ाई की। सुनील दत्त एक पंजाबी खानदान से थे और इनके पिता रघुनाथ दत्त आर्मी ऑफिसर थे। इसके साथ ही वे अपने गांव के जमींदार भी थे, उनके खानदान को गांव वाले दीवान बुलाते थे।
मगर बंटवारे के बाद उनकी जमीन पाकिस्तान में चली गई लेकिन हरियाणा में उन्हें थोड़ी जमीन मिल गई। इससे उनके पिता ने अपने तीन बच्चों और पत्नी के साथ गुजर बसर शुरु की। सुनील दत्त मुंबई आ गए, क्योंकि यहां पर एक रिफ्यूजी कॉलेज (अब जय हिंद कॉलेज) चलता था। जहां पर सुबह 7 से 10 वे कॉलेज जाते और फिर बीएसटी में 11 से रात 11 बजे तक सुपरवाइजर की नौकरी करते थे, जहां उन्हें 100 रुपये सैलरी मिलती थी।
सुनील दत्त का करियर | Sunil Dutt Career
Sunil Dutt in Padosan
सुनील दत्त को रेडियो सीलोन पर रेडियो जॉकी के तौर पर काम मिल गया। ये दक्षिणी एशिया का सबसे पुराना रेडियो स्टेशन है। उस दौरान वे अक्सर किसी ना किसी फिल्म स्टार का इंटरव्यू लिया करते थे। एक बार उन्हें दिलीप कुमार का इंटरव्यू लेने के लिए फिल्म के सेट पर गए तभी फिल्म निर्देशक रमेश सहगल की नजर सुनील दत्त पर पड़ी।
उस समय दिलीप कुमार सेट पर मौजूद नहीं थे, तो उनका स्क्रीन टेस्ट हो गया लेकिन सुनील को लगा कि सब बहुत बुरा बोलेंगे तो वे शॉट देकर अपने कॉलेज भाग आए। इसके दो महीने के बाद निर्देशक ने फिर सुनील दत्त के कॉन्टैक्ट किया। फिर उन्होंने सुनील दत्त को फिल्म ऑफर की और पढ़ाई छोड़ने को कहा लेकिन सुनील दत्त ने अपनी मां से ग्रेजुएट होने का वादा किया था तो उस समय वे फिल्म नहीं कर पाए।
फिर कॉलेज खत्म करने के बाद वे सहगल साहब से मिले और फिल्म रेलवे प्लेटफॉर्म की शूटिंग शुरु की। साल 1955 में ये फिल्म रिलीज हुई मगर फिल्म खास नहीं चली। इसके बाद इनकी फिल्म मदर इंडिया आई इसमें उनके अलावा नरगिस और राजेंद्र कुमार मुख्य किरदार में थे। फिल्म सुपरहिट हुई और इस फिल्म का नाम ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था। सुनील दत्त ने एक्टर, प्रोड्यूसर और निर्देशक के तौर पर नागिन, पड़ोसन, हमराज, रॉकी, खानदान, मुकाबला, वक्त, मिलन, यादें, मेरा साया, गुमराह, साधना, शान, हीरा, बदले की आग, रेशमा और शेरा, वतन के रखवाले, मेहरबान, जख्मी, बेटी बेटे, यारी दुश्मनी, पापी, मैं चुप रहूंगी जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया।
साल 1984 में सुनील दत्त को कांग्रेस पार्टी के टिकट पर मुंबई उत्तर पश्चिम लोक सभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिला जिसमें उन्हें जीत मिली और वे सांसद बन गए। यहां से वे 5 बार चुनाव जीते और मनमोहन सिंह सरकार में साल 2004-05 तक वे खेल एंव युवा मामलों के कैबिनेट मंत्री भी रहे। साल 1968 में भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया था।
सुनील दत्त और नरगिस की लव स्टोरी | Sunil Dutt and Nargis love story
Sunil Dutt with Nargis
बतौर रेडियो जॉकी सुनील दत्त फिल्मों में आने के बारे में सोचते भी नहीं थे। वे फिल्मी सितारों का इंटरव्यू लेते थे और उनकी सबसे पसंदीदा अभिनेत्री नरगिस हुआ करती थीं। उस समय नरगिस काफी लोकप्रिय एक्ट्रेस बन गई थीं और उनका अफेयर राज कपूर के साथ चल रहा था। एक बार सुनील दत्त को नरगिस का इंटरव्यू लेने का काम सौंपा गया, ये बात सुनकर सुनील के हाथ-पांव कांपने लगे। इंटरव्यू के दौरान नरगिस को देखते ही वे काफी नर्वस हो गए और उनसे एक भी सवाल नहीं पूछ पाए। नरगिस तो चली गईं और उनकी नौकरी खतरे में पड़ गई थी। दूसरी बार नरगिस की उनसे मुलाकात बिमल रॉय की फिल्म दो बीघा जमीन के सेट पर हुई, जहां नरगिस फिल्म निर्देशक से मिलने आईं थीं और सुनील दत्त काम की तलाश में आए थे। सुनील को देखकर नरगिस उनके पिछली मुलाकात को याद करते हुए मुस्कुराकर आगे बढ़कर गईं।
Set of Mother India
फिर महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया में सुनील दत्त को नरगिस के बेटे का किरदार मिल गया। पहले तो उन्होंने ये करने से मना कर दिया मगर उन्हें काम की जरूरत थी इसलिए फिल्म करनी पड़ी। शूटिंग के दौरान सुनील नरगिस के सामने एक्टिंग नहीं कर पाते थे वे काफी नर्वस हो जाते थे लेकिन फिर नरगिस ने उनकी सहजता से काम करने में मदद की। नरगिस के इस व्यवहार के बाद से सुनील उनसे प्यार करने लगे लेकिन कभी कह नहीं पाते थे क्योंकि वे जानते थे कि नरगिस राज कपूर से प्यार करती हैं। मगर वो दौर कुछ ऐसा था कि नरगिस और राज कपूर के बीच कड़वाहट आ गई थी, दरअसल नरगिस राज कपूर से शादी करना चाहती थीं लेकिन वे पहले से शादीशुदा थे।
उनके 5 बच्चे (रणधीर कपूर, रितू कपूर, रीमा कपूर, राजीव कपूर और ऋषि कपूर) थे इसलिए वे अपनी पत्नी को तलाक नहीं दे सकते थे। उनका प्यार सच्चा था लेकिन नरगिस ने अपने कदम पीछे कर लिए और काफी परेशान रहने लगी थीं। फिल्म मदर इंडिया के सेट पर भी वे अक्सर उदास रहती थीं, मगर फिर इसी फिल्म के सेट पर ऐसा वाक्या हुआ कि उनके दिल में सुनील दत्त ने जगह ले ली।
Injured Sunil Dutt with Nargis
फिल्म के एक सीन में गांव में आग लग जाती है और इस सीन की शूटिंग गुजरात के बिलिमोर गांव में हो रही थी। उसी दौरान आग लगाई गई मगर वो आग इतनी फैल गई कि बेकाबू हो गई और नरगिस आग के बीच घिर गईं। मदद के लिए वे चिल्ला रही थीं लेकिन कोई आग में कूदने की हिम्मत नहीं दिखा पाया मगर सुनील दत्त ने बिना कुछ सोचे समझे आग में छलांग लगा दी। उन्होंने नरगिस को तो बचा लिया लेकिन खुद काफी जल गए। वे इतने जल गए थे कि बेहोश होने लगे, जल्दी से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। उस दौरान नरगिस के दिल में सुनील के लिए सॉफ्ट कॉर्नर आया और हर दिन वे अस्पताल जाकर उनकी देखभाल करती थीं। फिल्म पूरी होने के बाद से सुनील के दिल में नरगिस के लिए प्यार बढ़ता चला गया और उन्होंने दिल के आगे मजबूर होकर उन्हें प्रपोज कर दिया। उस समय नरगिस का ब्रेकअप हुआ था और वे अकेली थीं तो उन्होंने उस प्रपोजर को स्वीकार कर लिया। इसके बाद साल 1958 में दोनों ने शादी कर ली, एक साल बाद इन्हें बेटा हुआ जिनका नाम संजय दत्त है। इनके अलावा इन्हें दो बेटियां प्रिया और नम्रता हुईँ, ये दोनों संजय से छोटी हैं।
सबकुछ मिलकर भी सुनील दत्त को रही कमी
Sunil Dutt with family
शादी के 23 सालों के बाद नरगिस ने सुनील दत्त का साथ छोड़ दिया था क्योंकि कैंसर होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी। सुनील दत्त नरगिस से बहुत प्यार करते थे लेकिन एक समय ऐसा आया जब उन्होंने खुद डॉक्टर से नरगिस को मारने के लिए कहा। दरअसल कैंसर के दौरान नरगिस के शरीर में काफी दर्द रहता था और वे अक्सर सुनील दत्त से उन्हें जीवन से मुक्त करने की गुजारिश करती थीं लेकिन सुनील दत्त अमेरिका में रहते हुए उनका इलाज कराने में लगे थे। वे किसी भी कीमत में नरगिस को खोना नहीं चाहते थे लेकिन नरगिस का पूरा शरीर लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर चल रहा था। डॉक्टर्स भी सुनील को सलाह देते थे कि अब नरगिस को लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटा दें लेकिन सुनील नहीं मानते थे। मगर 3 जून, 1981 को नरगिस ने हिम्मत खो दी और उनकी मृत्यु हो गई।
उसी दौरान उनका बेटा ड्रग्स की लत में फंसा था, पत्नी की मृत्यु से सुनील दत्त टूट गए थे लेकिन खुद को संभालते हुए उन्होने बेटे को ड्रग्स की लत से बाहर निकाला मगर फिर संजय पर AK-47 रखने का आरोप लग गया। इस तरह कई साल उन्होंने अपने बेटे को बेकसूर साबित करने में लगा दिए और जब सब ठीक हुआ तो 25 मई, 2005 को उनका निधन हो गया। बेटे के साथ उन्होंने आखिरी फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस की और फिल्म में दिखाए गए एक सीन में जब वे संजय दत्त को पकड़कर रोते हैं। उस समय दोनों बाप-बेटे हकीकत में खूब रोए थे, इस बात का जिक्र संजू की बायोपिक फिल्म में हुआ है।
यह भी पढ़ें- योगी आदित्यनाथ: गोरखनाथ मंदिर के साधारण संत कैसे बने यूपी के मुख्यमंत्री?