हिंदू धर्म में जब भी भक्तों की बात होती है तो सबसे पहला नाम हनुमान जी का आता है क्योंकि वे प्रभु श्रीराम के परम भक्त थे. उनका नाम जपते-जपते उनका जीवन बीत गया. सभी जानते हैं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ थे लेकिन क्या आप जानते हैं कि Hanuman ji ka Janam कब और कहां हुआ था? वैसे तो इसको लेकर दो राज्य और तीन जगहों के नाम हैं लेकिन असल में इसपर लेकर कई चर्चे हुए मगर इसका साफ निष्कर्ष कोई नहीं निकाल पाया. आज हम आपको बताएंगे कि Hanuman ji ka janam कहां हुआ था?
Hanuman ji ka janam कहां है?
हनुमान जी का जन्म के लिए दो राज्यों आंध्र प्रदेश और कर्नाटक का दावा है. कर्नाटक का दावा है कि इनका जन्म उत्तर कर्नाटक में हम्पी के पास किष्किंधा में अंजेयांद्री पहाड़ पर हुआ था, लेकिन आंध्र प्रदेश का कहना है कि जिस अंजनाद्री पहाड़ पर हनुमान जी का जन्म हुआ था वह तिरुमाला के सात पहाड़ों में एक है. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने राम नवमी पर इसकी आधिकारिक घोषणा की थी. इन दोनों जगहों के बीच अभी भी बहस जारी है और पवित्र रामायण के आधार पर इस जगह दोनों ही राज्यों के लोग धूमधाम से रामनवमी और हनुमान जयंती मनायी जाती है.
Hanuman ji ka janam
कुछ विद्वानों के अनुसार, नवसारी (गुजरात) में एक डांग जिला है जो पूर्व काल में दंडकारण्य प्रदेश के रूप में जाना जाता था. इस दंडकारण्य में श्रीराम ने करीब 10 साल गुजारे थे. डांग जिला आदिवासियों का क्षेत्र है और इस समय यहां ईसाई मिशनरी सक्रिय है, हालांकि आदिवासियों के प्रमुख देव राम ही हैं. आदिवासी के मुताबिक, भगवान राम वनवास के दौरान पंचवटी की ओर जाते हुए डांग प्रदेश से गुजरे थे. इसी के पास शबरी धाम भी है और यहां से करीब 7 किमी दूर पूर्णा नदी स्थित पंपा सरोवर है. यहां मातंग ऋषि का आश्रम हुआ करता था और आदिवासियों की मान्यता है कि डांग जिले के अंजना पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में हनुमानजी का जन्म हुआ था.
दूसरे मत के अनुसार, कैथल हरियाणा प्रांत का एक शहर है जिसकी सीमा करनाल, कुरुक्षेत्र, जीन्द और पंजाब के पटियाला जिले से मिली. इसे ही वानर राज Hanuman ji ka janam माना जाने लगा. पुराणों के अनुसार इसे ही वानर राज हनुमान का जन्म स्थल माना जाता है. कैथल में पर्यटक ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं से जुड़े कई अवशेष मिलते हैं. इसके अलावा यहां पर हनुमान जी की मां अंजनी का एक प्राचीन मंदिर भी है.
यह भी पढ़ें- ‘एक प्यार का नगमा है’ के गीतकार संतोष आनंद की क्यों हुई ऐसी हालत?
हिंदू धर्म में जब भी भक्तों की बात होती है तो सबसे पहला नाम हनुमान जी का आता है क्योंकि वे प्रभु श्रीराम के परम भक्त थे. उनका नाम जपते-जपते उनका जीवन बीत गया. सभी जानते हैं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ थे लेकिन क्या आप जानते हैं कि Hanuman ji ka Janam कब और कहां हुआ था? वैसे तो इसको लेकर दो राज्य और तीन जगहों के नाम हैं लेकिन असल में इसपर लेकर कई चर्चे हुए मगर इसका साफ निष्कर्ष कोई नहीं निकाल पाया. आज हम आपको बताएंगे कि Hanuman ji ka janam कहां हुआ था?
Hanuman ji ka janam कहां है?
हनुमान जी का जन्म के लिए दो राज्यों आंध्र प्रदेश और कर्नाटक का दावा है. कर्नाटक का दावा है कि इनका जन्म उत्तर कर्नाटक में हम्पी के पास किष्किंधा में अंजेयांद्री पहाड़ पर हुआ था, लेकिन आंध्र प्रदेश का कहना है कि जिस अंजनाद्री पहाड़ पर हनुमान जी का जन्म हुआ था वह तिरुमाला के सात पहाड़ों में एक है. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने राम नवमी पर इसकी आधिकारिक घोषणा की थी. इन दोनों जगहों के बीच अभी भी बहस जारी है और पवित्र रामायण के आधार पर इस जगह दोनों ही राज्यों के लोग धूमधाम से रामनवमी और हनुमान जयंती मनायी जाती है.
Hanuman ji ka janam
कुछ विद्वानों के अनुसार, नवसारी (गुजरात) में एक डांग जिला है जो पूर्व काल में दंडकारण्य प्रदेश के रूप में जाना जाता था. इस दंडकारण्य में श्रीराम ने करीब 10 साल गुजारे थे. डांग जिला आदिवासियों का क्षेत्र है और इस समय यहां ईसाई मिशनरी सक्रिय है, हालांकि आदिवासियों के प्रमुख देव राम ही हैं. आदिवासी के मुताबिक, भगवान राम वनवास के दौरान पंचवटी की ओर जाते हुए डांग प्रदेश से गुजरे थे. इसी के पास शबरी धाम भी है और यहां से करीब 7 किमी दूर पूर्णा नदी स्थित पंपा सरोवर है. यहां मातंग ऋषि का आश्रम हुआ करता था और आदिवासियों की मान्यता है कि डांग जिले के अंजना पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में हनुमानजी का जन्म हुआ था.
दूसरे मत के अनुसार, कैथल हरियाणा प्रांत का एक शहर है जिसकी सीमा करनाल, कुरुक्षेत्र, जीन्द और पंजाब के पटियाला जिले से मिली. इसे ही वानर राज Hanuman ji ka janam माना जाने लगा. पुराणों के अनुसार इसे ही वानर राज हनुमान का जन्म स्थल माना जाता है. कैथल में पर्यटक ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं से जुड़े कई अवशेष मिलते हैं. इसके अलावा यहां पर हनुमान जी की मां अंजनी का एक प्राचीन मंदिर भी है.
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