बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन लेखक Gulzar की बात ही अलग है क्योंकि उन्होंने आजतक जो भी लिखा वो काबिल-ए-तारीफ रही है। उनका लिखा चाहे कोई भी गाना है या फिर कोई भी शायरी हर एक नज़्म में कोई ना कोई बात जरूर होती थी। गुलज़ार साहब हर मौके के लिए एक शायरी लिखी और जिंदगी का सबसे बड़ा गाना ‘तुझसे नाराज नहीं’ लिखा जिसे आज भी लोग पसंद करते हैं।
गुलजार की लाजवाब शायरियां
18 अगस्त, 1934 को ब्रिटिश इंडिया के जेलम (अब पाकिस्तान) में हुआ था लेकिन पार्टिशन के बाद इनका परिवार भारत में आकर रहने लगा। इनका करियर म्यूजिक कंपोजर एस.डी.बर्मन के साथ हुआ था इसके बाद इन्होंने एक के बाद एक फिल्मों के लिए गाने लिखे और सभी हिट रहे। अब पढ़िए Gulzar की कुछ यादगार शायरियां।
”यूं भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता कोई एहसास तो दरिया की अना का होता”
”आप के बाद हर घड़ी हमने आप के साथ ही गुज़ारी है”
”दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई जैसे एहसान उतारता है कोई”
”आंखों से आंसुओं के मरासिम पुराने हैं मेहमान ये घर में आएं तो चुभता नहीं धुआं”
”तुम्हारी ख़ुश्क सी आंखें भली नहीं लगतीं वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं”
”हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते”
”आइना देख कर तसल्ली हुई हमें इस घर में जानता है कोई”
”खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं हवा चले न चले दिन पलटते रहते है”
Image Courtesy : dontcallitbollywood
”शाम से आंखों में नमी सी है आज फिर आप की कमी सी है”
”वो उम्र कम कर रहा था मेरी मैं साल अपने बढ़ा रहा था”
”उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जां पर चले जहां से तो ये पैरहन उतार चले”
”सहर ना आई कई बार नींद से जागे थी रात-रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले”
”कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की”
”कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूं उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की”
”कोई अटका हुआ है पल शायद वक़्त में पड़ गया है बल शायद”
”काई सी जम गई है आंखों पर
सारा मंज़र हरा सा रहता है”
”वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर आदत इस की भी आदमी सी है ”
बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन लेखक Gulzar की बात ही अलग है क्योंकि उन्होंने आजतक जो भी लिखा वो काबिल-ए-तारीफ रही है। उनका लिखा चाहे कोई भी गाना है या फिर कोई भी शायरी हर एक नज़्म में कोई ना कोई बात जरूर होती थी। गुलज़ार साहब हर मौके के लिए एक शायरी लिखी और जिंदगी का सबसे बड़ा गाना ‘तुझसे नाराज नहीं’ लिखा जिसे आज भी लोग पसंद करते हैं।
गुलजार की लाजवाब शायरियां
18 अगस्त, 1934 को ब्रिटिश इंडिया के जेलम (अब पाकिस्तान) में हुआ था लेकिन पार्टिशन के बाद इनका परिवार भारत में आकर रहने लगा। इनका करियर म्यूजिक कंपोजर एस.डी.बर्मन के साथ हुआ था इसके बाद इन्होंने एक के बाद एक फिल्मों के लिए गाने लिखे और सभी हिट रहे। अब पढ़िए Gulzar की कुछ यादगार शायरियां।
”यूं भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता कोई एहसास तो दरिया की अना का होता”
”आप के बाद हर घड़ी हमने आप के साथ ही गुज़ारी है”
”दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई जैसे एहसान उतारता है कोई”
”आंखों से आंसुओं के मरासिम पुराने हैं मेहमान ये घर में आएं तो चुभता नहीं धुआं”
”तुम्हारी ख़ुश्क सी आंखें भली नहीं लगतीं वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं”
”हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते”
”आइना देख कर तसल्ली हुई हमें इस घर में जानता है कोई”
”खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं हवा चले न चले दिन पलटते रहते है”
Image Courtesy : dontcallitbollywood
”शाम से आंखों में नमी सी है आज फिर आप की कमी सी है”
”वो उम्र कम कर रहा था मेरी मैं साल अपने बढ़ा रहा था”
”उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जां पर चले जहां से तो ये पैरहन उतार चले”
”सहर ना आई कई बार नींद से जागे थी रात-रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले”
”कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की”
”कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूं उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की”
”कोई अटका हुआ है पल शायद वक़्त में पड़ गया है बल शायद”
”काई सी जम गई है आंखों पर
सारा मंज़र हरा सा रहता है”
”वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर आदत इस की भी आदमी सी है ”