{"id":372,"date":"2022-12-09T01:50:06","date_gmt":"2022-12-08T22:50:06","guid":{"rendered":"http:\/\/www.rochaksafar.com\/national-doctors-day-started-concept\/"},"modified":"2022-12-09T01:50:06","modified_gmt":"2022-12-08T22:50:06","slug":"national-doctors-day-started-concept","status":"publish","type":"post","link":"https:\/\/rochaksafar.com\/national-doctors-day-started-concept\/","title":{"rendered":"National Doctors Day \u092a\u0930 #RespectDoctors \u0905\u092d\u093f\u092f\u093e\u0928 \u0915\u093f\u092f\u093e \u0936\u0941\u0930\u0942, \u091c\u093e\u0928\u0947\u0902"},"content":{"rendered":"
National Doctors Day Special: महामारी के दौरान डॉक्टर ही थे जो वायरस के म्यूटेट होते प्रकारों और लोगों के बीच में ढाल बनकर खड़े रहे. इस अभियान का लक्ष्य भारत में डॉक्टरों के खिलाफ उभरती हुई हिंसा की महामारी को रोकना है, डॉक्टरों के प्रति ये हिंसक घटनाएं मानवता की भलाई के लिए किये उनके निस्वार्थ योगदान को मलिन करती हैं आंकड़ों के मुताबिक पूरे भारत में 75% से ज्यादा डॉक्टरों ने किसी न किसी प्रकार की हिंसा का सामना किया है और 68.33 प्रतिशत हिंसा मरीज के अटेंडेंट\/एस्कॉर्ट्स द्वारा झेली गयी है<\/p>\n
ये हिंसक घटनाएं डॉक्टरों पर गहरा मनोवैज्ञानिक असर डालती है जिससे उनके काम में उल्लेखनीय रूप से कमी आती है जिससे वे डिप्रेशन, चिंता, बर्न आउट, इंसोमेनिया, और दुबारा हमले के डर के बिना अपने मरीजों का इलाज करने के काबिल नहीं होते है डॉक्टरों पर हमला करने से उनका वर्कप्लेस उनके लिए असुरक्षित बन जाता है. इससे वे सुरक्षित माहौल में काम करने के अधिकार से वंचित रहते हैं.<\/p>\n
यह भी पढ़ें- गरीब कल्याण सहित PM Narendra Modi ने संबोधन में कहीं ये 6 अहम बातें<\/span><\/p>\n डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा होने से मरीज का स्वास्थ्य एवं कल्याण प्रभावित होता है. यही नहीं डॉक्टरों के खिलाफ मारपीट सामान्य मानवता के मूल्यों के खिलाफ भी है. इसी पर महत्वपूर्ण रूप से प्रकाश डालते हुए इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आईएसआईसी), नई दिल्ली ने नेशनल डॉक्टर्स डे के उपलक्ष में डॉक्टरों के अधिकारों व सम्मान के लिए एक अभियान शुरू किया है. गौरतलब है कि डॉक्टर लगातार म्यूटेट होते कोविड-19 वायरस और लोगों के बीच एकमात्र ढाल बने हुए हैं.<\/p>\n इस अभियान को #RespectDoctors का नाम दिया गया है जिसे ‘नेशनल डॉक्टर डे’ से पहले लांच किया गया है और इसके तहत भारत में डॉक्टरों के खिलाफ उभरती हुई हिंसा की महामारी को रोकना है. डॉक्टरों के प्रति ये हिंसक घटनाएं मानवता की भलाई के लिए किये उनके निस्वार्थ योगदान को भी ठेस पहुंचती हैं. आंकड़ों के मुताबिक पूरे भारत में 75% से ज्यादा डॉक्टरों ने किसी न किसी प्रकार की हिंसा का सामना किया है और 68.33 प्रतिशत हिंसा मरीज के अटेंडेंट\/एस्कॉर्ट्स द्वारा झेली गयी है. महामारी के शुरुआती दिनों में पूरे भारत में डॉक्टरों और हेल्थकेयर वर्कर्स पर बड़ी संख्या में हिंसक हमले हुए, जिससे सरकार को डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए एक विशेष कानून (गैर-जमानती अपराध) बनाने के लिए आगे आना पड़ा.<\/p>\n डॉ एच एस छाबरा<\/p>\n इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आईएसआईसी), नई दिल्ली स्पाइन सर्विस के चीफ और मेडिकल डॉयरेक्टर डॉ एचएस छाबड़ा ने कहा, “हिंसा का असर शरीर पर घाव होने से भी कहीं ज्यादा होता है. हिंसक घटनाएं डॉक्टरों पर गहरा मनोवैज्ञानिक असर डालती है जिससे उनके काम में उल्लेखनीय रूप से कमी आती है जिससे उन्हें डिप्रेशन, चिंता, बर्न आउट, इंसोमेनिया, और फिर से हमले के डर के बिना अपने मरीजों का इलाज करने में परेशानी होती है. हेल्थकेयर वर्कर्स के खिलाफ हिंसा केवल महामारी के दौरान ही नहीं होती आयी है, पहले डाक्टरों के ऊपर हमले होते रहे हैं. पिछले साल बनाए गए कानून ने हिंसा पर बहुत ही कम प्रभाव डाला है. हम अभी भी डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं के बारे में सुनते हैं. भारत में डॉक्टर और मरीज का अनुपात हर1,000 रोगियों पर केवल 0.7 डॉक्टर है. यह आंकड़ा डब्लूएचओ के 1,000 मरीजों पर 2.5 डॉक्टरों के मापदंड से भी कम है. जब तक हम डाक्टरों के खिलाफ हिंसा को कम नहीं करेंगे तब तक लोगों को क्वॉलिटी और सस्ता हेल्थकेयर सुविधा नहीं मिल सकेगी.”<\/p>\n इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आईएसआईसी), नई दिल्ली के चीफ स्ट्रेटजी ऑफिसर सुगंध अहलूवालिया ने कहा, “सदियों से डॉक्टर स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की भूमिका निभाते रहे हैं और महामारी ने मानवता के प्रति उनकी लगन को दर्शाया है. डॉक्टरों और हेल्थकेयर वर्कर्स के खिलाफ हिंसा पूरी तरह से घृणित अपराध है. डॉक्टरों पर हमला करने से उनका वर्कप्लेस उनके लिए असुरक्षित बन जाता है. इससे वे सुरक्षित माहौल में काम करने के अधिकार से वंचित रहते हैं. हम काम पर डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए इस अभियान का तहे दिल से समर्थन करते हैं और डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए जितना संभव हो सकेगा उतना सहयोग देंगे.”<\/p>\n National Doctors Day Special: महामारी के दौरान डॉक्टर ही थे जो वायरस के म्यूटेट होते प्रकारों और लोगों के बीच में ढाल बनकर खड़े रहे. इस अभियान का लक्ष्य भारत में डॉक्टरों के खिलाफ उभरती हुई हिंसा की महामारी को रोकना है, डॉक्टरों के प्रति ये हिंसक घटनाएं मानवता की भलाई के लिए किये उनके […]<\/p>\n","protected":false},"author":1,"featured_media":0,"comment_status":"closed","ping_status":"closed","sticky":false,"template":"","format":"standard","meta":{"footnotes":""},"categories":[44],"tags":[],"class_list":["post-372","post","type-post","status-publish","format-standard","hentry","category-regional"],"yoast_head":"\n