Rahat Indori कैसे बने मशहूर शायर? इन शायरियों ने हर किसी का दिल जीता
मशहूर शायर, गीतकार राहत इंदौरी (Rahat Indori) का दिल का दौरा पड़ने से मंगलवार की शाम निधन हो गया। Rahat Indori साहब को 10 अगस्त की देर रात इंदौर के अरविंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मंगलवार की सुबह उन्होंने सोशल मीडिया पर फैंस को जानकारी दी कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि दुआ कीजिए मैं जल्द ही ठीक हो जाऊं और कोरोना को हरा दूं। मगर मंगलवार की शाम को उनके निधन की खबर आने से उनके परिजन और चाहनेवालों को बहुत दुखद खबर मिली। अगर आपने Rahat Indori ki Shayari नहीं सुनी है तो यहां पढ़िए।
कैसे बने Rahat Indori मशहूर शायर? | Rahat Indori ki Shayari
1 जनवरी, 1950 को मध्यप्रदेश के इंदौर में राहत इंदौरी साहब का जन्म हुआ था। उनके पिता एक मिल में काम करते थे जबकि इनकी माता हाउसवाइफ थीं। इनका असली नाम राहत कुरैशी था, मगर शायराना अंदाज में उन्हें राहत इंदौरी पुकारा जाने लगा था। इन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई इंदौर के नूतन स्कूल में की और फिर इंदौर के Islamia Karimia College से ग्रेजुएशन पूरा किया। साल 1973 में इन्होंने बरक़तुल्ला यूनिवर्सिटी से उर्दू लिट्रेचर विषय में मास्टर्स की डिग्री ली थी। इन्होंने भोज यूनिवर्सिटी से उर्दू लिट्रेचर में PhD किया था, इसमें इन्हें अपनी थीसिस के टाइटल ‘उर्दू में मुशायरा’ के लिए अवॉर्ड भी दिया गया था। यहीं से उनके अंदर मुशायरा बोलने का हुनर आया और वे शायरियों के साथ फिल्मों के लिए गाने भी लिखने लगे थे। इंदौरी साहब मुशायरा और कवि सम्मेलन पिछले 40-45 सालों से कर रहे थे। इनकी लिखी हुई कविता, शायरियां और गीत दुनियाभर में पसंद किये जाते हैं। भारत के अलावा इन्होंने USA, UK, UAE, Australia, Canada, Singapore, Mauritius, KSA, Kuwait, Qatar, Bahrain, Oman, Pakistan, Bangladesh, Nepal जैसे देशों में अपनी शायरियों और मुशायरा का समां बांधा है।

इंदौरी साहब ने मैं तेरा आशिक, आशियां, सर, जन्म, खुद्दार, नाराज, मर्डर, मुन्नाभाई एमएमबीबीएस, मिशन कश्मीर, करीब, इश्क और घातक जैसी फिल्मों के लिए गीत लिखे थे जिनमें से ज्यादातर सुपरहिट रहे। इसके अलावा इन्होंने रुत, दो कदर और सही, मेरे बाद, धूब बहुत है, चांद पागल है, मौजूद और नाराज जैसे नामों की किताबें भी लिखी हैं। इंदौरी साहब ने साल 1988 में अंजुम रहबर से शादी की थी जिन्हें साल 1993 में तलाक दे दिया था और फिर सीमा राहत के साथ शादी की जिनके साथ वे आज भी थे। इन्हें चार बच्चे समीर इंदौरी, शिबी इंदौरी, फैज़ल इंदौरी और सतलाज़ इंदौरी हैं।
Rahat Indori ki Shayari in Hindi
1. आसमान लाये हो? ले आओ ज़मीन पर रख दो..
मेरे हुजरे में नहीं, और कहीं पर रख दो,
आसमां लाये हो ले आओ, जमीं पर रख दो
अब कहां ढूंढने जाओगे, हमारे क़ातिल,
आप तो क़त्ल का इल्जाम, हमी पे रख दो।।
उसने जिस ताक पर, कुछ टूटे दिये रखे हैं,
चांद तारों को ले जाकर, वहीं पर रख दो।।
2. बुलाती है मगर जाने का नहीं..
बुलाती है मगर जाने का नहीं,
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुज़र जाने का नहीं।।
ज़मीं भी सर पे रखनी हो तो रखो
चले हो तो ठहर जाने का नहीं।।
सितारे नोच कर ले जाऊंगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं।।
वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नहीं।।
वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नहीं।।
3. ‘किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है’
अगर खिलाफ हैं, होने दो, जान थोड़ी है
ये सब धुँआ है, कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
मैं जानता हूँ कि दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है
हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुंह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
जो आज साहिब-इ-मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं जाती मकान थोड़ी है..
सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है.
4. तूफ़ानों से आंख मिलाओ
तूफ़ानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे
5. फकीरी पे तरस आता है
अपने हाकिम की फकीरी पे तरस आता है
जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे
जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे
फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो
इश्क़ खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो
6. बहुत हसीन है दुनिया
आंख में पानी रखो होंठो पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।।

7. उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है
बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं।।
8. बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं।।
9. आँख में पानी रखो होठों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।।
10. बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएं।।
11. तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो।।
12. अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए।।
13. न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा।।
14. मेरी ख्वाहिश है कि आंगन में ना दीवार उठे
मेरे भाई, मेरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले।।
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