90’s के बच्चे ही बता सकते हैं इन 25 तस्वीरों का असल मतलब, यादें होंगी ताज़ा
Old is Gold…इस बारे में तो आपने सुना ही होगा ? पुरानी चीजों की कद्र एक समय के बाद होती है। 90 के दशक में बड़े होने वाले सभी बच्चों में एक खास तरह का उत्साह रहता था। उस दौर में बच्चों के पास क्रिएटिविटी करने के बहुत मौके हुआ करते थे। 90 के दशक के बच्चों को खाली समय में बहुत कुछ करने को होता था, जिसमें कॉमिक्स पढ़ना, कैरम खेलना, शक्तिमान देखना या फिर रविवार को ड्रेस में प्रेस या जूते पॉलिश करने के काम होते थे। इसके अलावा भी बढ़ती हुई उम्र के साथ बहुत सारी चीजें देखने को मिलता था जो आज के बच्चों में देखना आम नहीं है। 90’s Memories में बहुत सी यादें सम्मलित हैं जिन्हें आज आपको इन तस्वीरों के जरिए देखने को मिलेगा।
90’s Memories की एक छोटी सी झलक
फिल्म ये जवानी है दीवानी का एक बेहतरीन डायलॉग है, बालकनी में चाय का कप लेकर जब कभी सूनेपन में यादें गिनने लगो, तो लगता है कितनी दूर चले आए हैं हम… कितने बड़े हो गए हैं हम… कितने बदल गए हैं हम” बचपन की यादें सच में बहुत हसीन होती हैं और आज इन तस्वीरों के जरिए हम आपको आपके और हमारे बचपन में ले जाएंगे।
अमूल की चॉकलेट उस समय कुछ ऐसी आती थी और जब ये पैक सबको मिल जाता था तब तो बच्चों की जिंदगी की सबसे कीमती खुशी उन्हें मिल जाती थी।

बचपन में ये जिस बच्चे के बास होता था वो खुद को राजा ही समझता था।

बचपन की यादों में ये जूते भी अहम होते थे जब गुुरवार को ड्रेस कोड में ये पहनकर जाना होता था और गंदे होने पर मां की डांट खानी होती थी।

वैसे तो कैरम आज भी चलता है लेकिन ये उस दौर के बच्चों का गर्मी का साथी होता था।

आज के समय में मोबाइल ही सबकुछ होता है लेकिन उस दौर में चाचा चौधरी की ये किताब बच्चों के लिए अहम होती थी।

90 के दशक के बच्चे ही बता सकते हैं ये क्या है ?

बचपन में जब ये दो रुपये का नोट मिल जाता था तब हमारी खुशी का ठिकाना ही नहीं होता है और आज हजारों कमाते हैं लेकिन वो सुकून नहीं मिलता।

बच्चों की मनपसंद बिग फन जो च्विंगम होता था और लोगों को ये बहुत पसंद हुआ करता था।

उस दौर में सियाही और दावात का खास रिश्ता बच्चों से होता था। किसी ना किसी टीचर का काम इससे पेन से जरूरी होता था।

बचपन का फेवरेट कार्टून तो अलग ही होता था जिसका नाम डॉनल डक था।

ये बच्चा तो आपको याद ही होगा जब ये धारा के इस विज्ञापन को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता था।

चंद्रकांता का ये सीरियल भी काफी पसंदीदा हुआ करता था।

उस दौर की फ्रूटी का पैक कुछ ऐसा होता था और अगर किसी ने ये दिलवा दी तो बस समझो बच्चों की बल्ले-बल्ले हो जाती थी।

आज के बच्चों को पता भी नहीं होगा कि इस सिक्के की कितनी एहमियत होती थी।
उस दौर का सबसे बड़ा ब्रांड बीपीएल हुआ करता था जिसकी टीवी, फ्रिज या कोई भी इलेक्ट्रॉनिक मशीन हर घर में मिल जाया करती थी। आज ये कंपनी बंद हो चुकी है।

2000 की शुरुआत होते-होते कैसेट्स का दौर खत्म होता जा रहा था और डीवीडी का समय आ ही रहा था।
एंटीना का भी एक दौर था जब चैनल ना आऩे पर एक आदमी इसे पकड़कर खड़ा रहता था।

एक दौर था जब पोस्टकार्ड हर किसी के घर बहुत जरूरी था और लोगों को इसका इंतजार रहता था।
गर्मियों की छुट्टियों में जब स्कूल खुलने वाला होता था तब बच्चों का एक ही काम होता था कॉपी किताबों में कवर चढ़ना।
हर बच्चों के पास ऐसी अलग-अलग वॉटर बॉटल हुआ करती थी जिसे आमतौर पर थरमस कहा जाता था।
टीवी पर रामायण देखते समय आधे से ज्यादा बच्चे इन्हें असली का राम और सीता समझते थे जो एक भ्रम था।

सबका फेवरेट शो शक्तिमान जिसके कहने पर 90 के दशक के बच्चे अपनी दिनचर्या शुरु करते थे।
बिना फिल्टर वाला कैमरा जो बहुत महंगा हुआ करता था।
लड़कों का फेवरेट गेम कार्ड जिसे ट्रम्प कार्ड भी कहते थे जिसमें WWF के फाइटर्स होते थे।

गर्मी की छुट्टी में बच्चों का ये पसंदीदा इनडोर खेल हुआ करता था।

इस कैंडी को उस समय बहुत पसंद किया जाता था।

इस पैंसिल का क्रेज हर बच्चों में होता था। ये सीरियल एक मैजिक पैंसिल पर आधारित था और हर कोई संजू को अपना दोस्त समझने लगा था।
ऐसी ही कई और भी चीजें हैं जो हमें हमारे बचपन में ले जाती हैं। इनमें बहुत सारी चीजें छूट गई हैं लेकिन उम्मीद है कि इन तस्वीरों के जरिए आपने अपने बचपन को एक बार याद तो किया होगा। कैसा लगा आपको मेरा 90’s Memories वाला लेख, कमेंट में जरूर बताइएगा।
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